दुकानजी के घर से बेघर होने पर पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा ने शरण दी

जितेंद्र कुमार सिंह
प्रयागराज । दारागंज मे स्थित    श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के किराये के मकान में 1963 बसंत पंचमी के दिन जन्मे राजेन्द्र कुमार तिवारी दुकानजी साधारण परिवार के माता पिता के साथ रहकर उसी किराये के मकान से पुरे दुनियां के एक अद्भुत विधा के कला को जन्म दियाlजिसका नाम   मूछ नृत्य रख कर पूरे विश्व में भारत के नाम के साथ इलाहाबाद मे त्रिर्वेणी संगम स्थित दारागंज का नाम रोशन कर गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड,लिम्का बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड,ईडिया बुक ऑफ रिकार्ड,इन्टरनेशनल जूनो एवार्ड,इन्टरनेशनल आई कान एवार्ड,उ0 प्र0 के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ द्रारा गंगा सेवक सम्मान प्राप्त कर एक अलग पहचान बनाया। संत-महात्माओं के सानिध्य में रहकर बनाया। साथ ही समाज सेवा के साथ- साथ स्वच्छता के प्रति और गंगा स्वच्छता के प्रति सरकारी गैर सरकारी समाज को देने वाले संदेशोका प्रचार-प्रसार लोगो तक पहुंचाते हैं।अपने अनोखे अंदाज में अलग पहचान के लिए बनी। साथ ही उसी श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के एक 12×8 के कमरे मे 1989 मे घर शहर गली मोहल्ले में जो भी बेकार चीज पड़ी मिलती उसे उठा उठा कर एकत्रित कर एक अद्भुत कोलाज संग्रहालय बनाया,जिसे देखने माघमेला कुम्भमेला में लोग देखने आते हैं।जिसे मीडिया ने अपने पेपर में छापकर अद्भुत कोलाज संग्रहालय की पहचान बनाई। धीरे-धीरे लोग संग्रहालय को वस्तुये देने लगे। जिसमें चर्चित दुनिया की सबसे छोटी गीता और कुरान जो गिफ्ट में मिली।फिर देश विदेश से लोग देखने आने लगे,देश विदेश के चैनल,प्रिन्ट मीडिया बीबीसी लन्दन,डिस्कवरी तक के अलावा अनेकों टीवी चैनलों ने डाकूमेन्ट बनाने आने लगे। दुकानजी का
संकल्प था इलाहाबाद और घर नहीं छोड़ेंगे।ये नही मालूम था की एक दिन अंतर्राष्ट्रीय कलाकार के सर से छत चली जायेगी और बनाया गया कोलाज संग्रहालय का अस्तित्व समाप्त हो जयेगा। सरकार,प्रशासन,मंत्री,विधायक से सहयोग मांगा सिर्फ आश्वासन मिलता रहा।भाई के साथ उसी अखाड़े में रहता रहा।2017 में श्रीपंचायती अखाडा महानिर्वाणी के सचिव महन्त यमुनापुरी ने अखाड़े के सभी किरायेदारों को बुलाकर कहा अखाड़ा पुराना हो गया है इसे तोड़कर भब्य तरिके से बनवाना है आप सब खाली कर दे,बनने के बाद दिया जायेगा। नगर निगम की नोटिस आ गई भाई ने खाली कर दिया बस अखाड़े के सचिव यमुनापुरी ने कहा दुकानजी एक कलाकार समाज सेवी है उसे अखाडे में पिछे एक कमरा चौकी दे देंगे वही रहेगा।समाज सेवा करेगा वे संतो के बीच परिवार जैसा है कमरा मिल गया। ये भी संत की अलग भावना थी,मकान खाली करा कर भी हमारा सहयोग किया। हमें भी खुशी हुई की एक भब्य सुन्दर अखाड़ा बन कर तैयार होगा जिसकी एक अलग पहचान देश मे होगी।बस मन में था की अब हमारा संग्रहालय नहीं बन पायेगा । ये संत महात्मा ही कर सकते हैं। हम उनके जीवन भर आभारी रहेंगे। हमारे अधूरे कार्य को पूरा करने में सहयोग देने की बहुत बड़ी कृपा की है।

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