दीवाली का पटाखा पेट में घुसा

जीवन ज्योति हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने दिया जीवनदान

प्रयागराज स्थित जीवन ज्योति हॉस्पिटल के एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम ने एक बहुत ही कठिन सर्जरी द्वारा एक सात वर्षीय बच्चे की जान बचायी है जिसकी छोटी आंत में पेट को चीरते हुए पटाखे का टुकड़ा फंस गया था।  बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए तुरंत ही डॉक्टर्स की टीम बनी जिसमे थे वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अजय गोपाल, पीडियाट्रिक सर्जन डॉ जे के सिंह व एडवांस्ड लेप्रोस्कोपी व कैंसर सर्जन डॉ अर्पित बंसल।  जीवन ज्योति हॉस्पिटल की निदेशक व आई०वी०एफ० विशेषज्ञा डॉ वंदना बंसल के दिशा–निर्देशन में टीम ने इमरजेंसी उपचार की व्यवस्था की।

गढ़वा हंडिया (प्रयागराज) निवासी सात वर्षीय सत्यम पाल, पुत्र अमित पाल, उस समय गंभीर रूप से घायल हो गया जब गाँव के ही कुछ लड़कों ने दिवाली के दूसरे दिन (पांच नवंबर ) को बचे हुए पटाखे इकठ्ठा करके खाली पड़े मिटटी के अनार मे भर दिया और आग लगा दी। सत्यम वहीं पास खड़ा था।  आग लगने पर बहुत तेज़ धमाका हुआ व मिटटी के अनार का एक टुकड़ा तीव्रता से उड़ते हुए सत्यम के पेट के निचले हिस्से में त्वचा व मांसपेशियों को चीरते हुए छोटी आंत में धंस गया। ।

अमित पाल के अनुसार “हम लोग सत्यम को गाँव के ही  चिकित्सक के पास ले गए जिन्होने बिना पूरी जांच किये बिना घाव को सिल दिया। लेकिन बच्चे की हालत और बिगड़ गयी फिर हमको किसी ने बताया जीवन ज्योति हॉस्पिटल ले जाने के लिए जिससे की बच्चे की जान बचायी जा सके।”

डॉ अजय गोपाल के अनुसार “यह बहुत ही गंभीर मामला था।  बच्चे को जीवन ज्योति हॉस्पिटल उसके परिजन सात नवंबर को मेरे पास लेकर आये।  बच्चा बेहोशी की हालत में था उसको तेज़  बुखार उल्टी व अन्य कई समस्याएं हो गयी थीं उसके घाव की हालत भी बहुत ख़राब थी।  परिजन ने एक्स–रे करवाया हुआ था जिससे समझ आ रहा था कि उसकी छोटी आंत मे छेद हो गया है और जांच मे पता चला की कोई फॉरेन बॉडी भी उसके आंत में फँसी हुई है तुरंत ही हमने टीम बनायीं बच्चे को ऑपरेट करने के लिए क्यूंकि जरा सी भी देर होती तो उसकी जान बचाना बडा मुश्किल हो जाता ।”

डॉ जे के सिंह व डॉ अर्पित बंसल के अनुसार यह बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड सर्जरी थी जो लगभग दो घंटा चली।  “सत्यम सेप्टिक शॉक मे जा रहा था। मिटटी के अनार का टुकड़े ने छोटी आंत मे दो बड़े व तीन छोटे छेद कर दिए थे जिससे की मल पेट मे इकठ्ठा हो रहा था शरीर मे तेज़ी से इन्फेक्शन फ़ैल रहा था टुकड़ा भी आंत मे फंसा हुआ था।  इसको सर्जरी के द्वारा निकला गया व आंत को भी ठीक किया गया।  सत्यम की दूसरी सर्जरी दो महीने बाद होगी जिसमे उसके मल निकासी द्वार को पहले की स्थिति में लाया जायेगा “

डॉ अर्पित बंसल ने बताया की ऑपरेशन के बाद बच्चे की हालत मे  तेज़ी से सुधार हुआ।  “हमे ख़ुशी है की हम इस बच्चे की जान बचा पाए। “

सत्यम के पिता अमित पाल के अनुसार जीवन ज्योति हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने उनके बच्चे को जीवन दान दिया है।

बॉक्स

डॉ अजय गोपाल ने चेताया है कि त्यौहार के मौसम में जरा सी भी लापरवाही बच्चे के जान पर भारी पड़ सकती है  होली दिवाली व अन्य अवसरों पर भी माँ–बाप को बहुत ही सतर्क रहना चाहिए व अपने बच्चे पर पूरा ध्यान देना चाहिए जिससे इस तरह की घटना न हो ऐसे बहुत से केस आते हैं जिसमे ज़रा–सी परिजनों की लापरवाही से बच्चों के साथ बड़ा हादसा हो जाता है।

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