दहल-ओली में बढ़ते मतभेदों के बीच कब तक टिक सकेगा नेपाल का सत्ताधारी गठबंधन?

नेपाल के सत्ताधारी गठबंधन की दो सबसे बड़ी पार्टियों में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर गंभीर मतभेद खड़े हो गए हैं। गठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के अध्यक्ष केपी शर्मा ओली ने साफ कर दिया है कि वे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए नए सिरे से आम सहमति बनाने के प्रस्ताव के साथ नहीं हैं। ओली इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मौजूदा गठबंधन के गठन के समय बनी इस सहमति पर सभी सहयोगी दल कायम रहें कि राष्ट्रपति का पद यूएमएल को मिलेगा।

सत्ताधारी गठबंधन की शुक्रवार को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान इस मुद्दे पर यूएमएल और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओइस्ट सेंटर) के बीच मतभेद खुल कर सामने आ गए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दोनों पार्टियां अपने रुख पर कायम रहीं। इस वजह से बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका।

सत्ताधारी गठबंधन में सात पार्टियां शामिल हैं। उनमें से तीन पार्टियों- जनता समाजवादी पार्टी, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी और जनमत पार्टी ने शुक्रवार की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। पर्यवेक्षकों के मुताबिक इन दलों के नेताओं को यूएमएल और माओइस्ट सेंटर में पनप रहे मतभेद का अंदाजा था। वे इन दोनों में से किसी के पक्ष में नहीं दिखना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने बैठक से दूर रहने का मन बनाया।

बैठक की शुरुआत में ही प्रधानमंत्री दहल ने प्रस्ताव रखा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी दलों के बीच आम सहमति बनाई जाए। राष्ट्रपति का चुनाव अगले नौ मार्च को होना है। दहल के निजी सचिव रमेश मल्ला ने पत्रकारों को बताया कि दोनों दल राष्ट्रपति चुनाव के सवाल पर अपने रुख पर कायम हैं। माओइस्ट सेंटर इस बारे में आम सहमति के पक्ष में है।

उधर ओली के निकट सूत्रों ने मीडिया ब्रीफिंग में ध्यान दिलाया कि नए गठबंधन के गठन के लिए पिछले 25 दिसंबर को सभी घटक दलों के बीच एक सहमति बनी थी। उसमें तय हुआ था कि राष्ट्रपति और प्रतिनिधि सभा के स्पीकर के पद यूएमएमल को मिलेंगे। इसी सहमति के तहत प्रधानमंत्री का पद माओइस्ट सेंटर को दिया गया था। शुक्रवार को उच्चस्तरीय बैठक के पहले दहल और ओली ने अकेले में भी बातचीत की। लेकिन उससे भी गतिरोध दूर करने में सफलता नहीं मिली।

खबरों के मुताबिक राष्ट्रपति पद के अलावा राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आएसएपी) को फिर से सरकार में शामिल करने के मुद्दे पर भी माओइस्ट सेंटर और यूएमएल के बीच मतभेद बढ़ रहे हैं। शुक्रवार की बैठक में ओली ने प्रस्ताव रखा कि आरएसपी को फिर से सरकार में जगह दी जाए। लेकिन दहल ने इस बारे में कोई साफ वादा नहीं किया। दहल आरएसपी नेता रवि लमिछाने को फिर से गृह मंत्रालय देने को तैयार नहीं हैं, जबकि इसके बिना लमिछाने अपनी पार्टी को सरकार में शामिल करने को राजी नहीं हैं।

इन गहराते मतभेदों के कारण सत्ताधारी गठबंधन के टिकाउ होने को लेकर सवाल लगातार गंभीर होते जा रहे हैं। इसी बात की पुष्टि गुरुवार को यूएमएल की बैठक में हुई, जब ओली ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन को बचाने का पूरा प्रयास करेगी।

Related posts

Leave a Comment