भारतीय खेल प्राधिकरण ने स्वीकार किया कि उसके केंद्रों पर यौन उत्पीड़न के आरोपियों को कड़ी सजा दिये जाने की जरूरत है लेकिन इस आलोचना को खारिज किया कि यह खतरा बेलगाम हो गया है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दस साल में साइ के 24 केंद्रों में यौन उत्पीड़न के 45 मामले पाये गए हैं। एक आला अधिकारी ने हालांकि कहा कि इन मामलों में सजा और कड़ी होनी चाहिये। फिलहाल इसमें तबादले, वेतन और पेंशन में कटौती और प्रतिबंध शामिल है। अधिकारी ने कहा कि इसमें सजा कड़ी होनी चाहिये लेकिन यह नीतिगत फैसला है जो मंत्रालय स्तर पर ही लिया जा सकता है। साइ के रिकार्ड के अनुसार 2011 से 2019 तक साइ को यौन उत्पीड़न की 35 शिकायतें मिली है जिनमें से 13 मामलों में सजा दी गई और 15 में जांच चल रही है। तीन मामले फर्जी शिकायत के निकले जबकि दो में आरोपी को अदालत से बरी कर दिया गया। एक आरोपी ने खुदकुशी कर ली जबकि दूसरे ने शिकायत वापिस ले ली। इन 35 मामलों में से 27 कोचों के खिलाफ और आठ साइ अधिकारियों के खिलाफ थे। अधिकारी ने कहा कि हर साल करीब 15000 खिलाड़ी साइ के विभिन्न केंद्रों पर प्रशिक्षण के लिये जुड़ते हैं। इनमें से चार से पांच हजार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में भाग लेते हैं। यानी पिछले दस साल में डेढ लाख प्रशिक्षु साइ से जुड़े। क्षेत्रीय निदेशक मीना बोरा की अध्यक्षता वाली यौन उत्पीड़न समिति केदिल्ली मुख्यालय के अलावा साइ की 12 क्षेत्रीय समितियां भी है। अधिकारी ने कहा कि पिछले दस साल में यौन उत्पीड़न के 45 मामलों के मायने है कि डेढ लाख में से 45 यानी 0.03 प्रतिशत।
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