तो क्या कमीशन के चक्कर मे मरीजों को लिख रहे हैं बाहर की दवा

शंकरगढ़ प्रयागराज से प्रमोद बाबू झा चंद्रमणिमिश्र/एक तरफ जहां राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग पर पूर्ण रूप से समर्पित है और जन – जन तक स्वास्थ्य की सुविधा पहुंचाने के लिए कटिबंध है और सरकारी अस्पतालों में अच्छे – अच्छे डॉक्टरों की नियुक्ति कर मरीजों को उचित इलाज के लिए कटिबंध है तो वहीं शंकरगढ़ में आदेश के बावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदाकर्मी चिकित्सकों द्वारा बाहर की दवाई लिखने का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है । शंकरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा कर्मी चिकित्सक मरीजों को बरगलाकर सेटिंग्स वाले मेडिकल स्टोर एवं पैथोलॉजी से बाहर की दवाई एवं जांच करवाने के लिए सुर्खियों में बने हुए हैं । सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में होम्योपैथिक संविदा कर्मी चिकित्सक इस समय काफी सुर्खियों में बने हुए हैं । गौरतलब है कि संविदा कर्मी होम्योपैथिक चिकित्सक होने के बावजूद मरीजो को एलोपैथिक दवाएं सेंटिंग वाले मेडिकल स्टोर से उपलब्ध करवा रहें हैं । मीडिया टीम की पड़ताल में यह बातें खुलकर सामने आई है कि वह मरीजों को होम्योपैथिक की दवाएं न देकर सरकारी अस्पताल के सामने तिवारी नामक मेडिकल स्टोर संचालक से एलोपैथिक दवाई ख़रीदवाई जाती है । और मरीज जाकर मजबूर होकर महंगी दवाइयां लेने के लिए मजबूर हैं । शंकरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के संविदा कर्मी चिकित्सक ओपीडी में मरीजों को प्रतिदिन हजारों रुपए की दवाइयां लिखी जा रही है । और बाहर की दवाई लिखने वाले संविदा कर्मी चिकित्सक प्रति माह सरकारी वेतन से अलग कमीशन का एक वेतन ले रहें हैं । उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी अस्पतालों में बाहर की दवा लिखने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है । लेकिन इसके बाद भी संविदा कर्मी चिकित्सक ओपीडी से बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं । यहां तक की मेडिकल स्टोर पर दवाइयां काफी महंगी होने के कारण जो मरीज दवा नहीं ले पाता है और यदि वह संविदा कर्मी चिकित्सक से बात करता है तो संविदा कर्मी चिकित्सक उसे डाँटता हुआ यह कहता है कि तब तुम कहीं और जाकर दवा ले लो मेरे पास मत आओ । मरीजों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जो भी जांचे होती हैं संविदा कर्मी चिकित्सक उन जांचों को गलत साबित करते हुए अस्पताल के सामने सेटिंग्स वाले पैथोलॉजी से जांच करवाने के लिए मरीजों को प्रेरित करता है और मरीजों की जेबें में डकैती डालने का कार्य कर रहें हैं । अंधेर नगरी चौपट राजा की कहावत संविदा कर्मी चिकित्सक पर लागू हो रहा है । प्रश्न यह उठना स्वाभाविक है कि क्या अस्पताल प्रशासन इस खबर से अनजान है या जानबूझकर मरीजों की जेबें में डकैती डलवा रहा है । पीड़ित मरीज इस प्रकार की कार्यशैली से काफी त्रस्त है और मजबूर होकर वह सेंटिंग वाले मेडिकल स्टोर एवं पैथोलॉजी में दवाई एवं जांच करवाने के लिए जाते हैं ।

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