दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के वॉर्म-अप ट्रैक पर स्टेट एथलेटिक्स चैंपियनशिप के आखिरी दिन एथलीट्स नजर नहीं आए। दरअसल, इस दौरान एथलीट्स में नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (NADA) का खौफ देखने को मिला। मंगलवार को 27 सितंबर को एंटी डोपिंग एजेंसी के अधिकारियों को देखकर एथलीट्स भाग गए। एक दिन पहले स्टेडियम के वॉशरूम में बिखरे सीरिंज का वीडियो सामने आया था। इसके बाद स्टेडियम में नाडा के अधिकारियों के होने की खबर फैली और एथलीट्स की संख्या में कमी आ गई। इस दौरान 100 मीटर मेंस फाइनल में केवल एक एथलीट ललित कुमार ने ही हिस्सा लिया। जूनियर स्टीपलचेस में एक एथलीट तो फिनिश लाइन क्रॉस करने के बाद भी दौड़ती रही। एक अधिकारी ने उसे दौड़कर पकड़ा। जिसके बाद नाडा के अधिकारी डोप टेस्ट के लिए सैंपल न मांग दे इस डर से कई विजेताओं ने मेडल सेरेमनी में हिस्सा ही नहीं लिया। एक सीनियर कोच ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, ट्रैक इवेंट में आठ पाइनलिस्ट थे, लेकिन मंगलवार को केवल तीन या चार ही आए। जूनियर स्टीपलचेज इवेंट में एक लड़की फिनिश लाइन पार करने के बाद भी दौड़ती रही। एक डोपिंग नियंत्रण अधिकारी को नमूना लेने के लिए उसके पीछे दौड़ना पड़ा। मेंस 100 मीटर फाइनल में ललित कुमार अकेले एथलीट थे। उन्होंने बताया कि बाकी के सात स्प्रिंटर ने उन्हें ये कहकर नहीं आए कि वे क्रैंप्स या मांसपेशियों में खिंचाव महसूस कर रहे हैं। ललित कुमार का ये पहला इवेंट था। उनके लिए साथी प्रतिस्पर्धियों का अचानक गायब होना हैरानी भरा था। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि, मैं वास्तव में सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स के खिलाफ दौड़ने का इंतजार कर रहा था। लेकिन कोई भी नहीं आया। हर कोई टेस्ट कराने से डर रहा था। एक एथलीट के तौर पर मैं बहुत आहत और निराश महसूस कर रहा हूं।
बता दें कि, दिल्ली राज्य एथलेटिक्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सनी जोशुआ ने कहा कि, कुछ खिलाड़ी तो अपने पदक लेने भी नहीं आए। हमारा काम एथलीट्स और कोच को शिक्षित करना है। लेकिन हम लगातार इस बात पर नजर नहीं रख सकते कि वे अभ्यास के दौरान या हमारी पीठ पीछे क्या कर रहे हैं। एथलेटिक्स में डोपिंग एक बड़ा खतरा है और हम इसके सख्त खिलाफ हैं।