सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और गूगल ने गुरुवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में बड़ी जीत दर्ज की। अदालत ने इन दावों को दरकिनार कर दिया कि इंटरनेट कंपनियों को उनकी साइटों पर पोस्ट की गई सामग्री के लिए जवाबदेह ठहराया जा सकता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से परिवार के एक व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी।
न्यायाधीशों ने दो मामलों पर सुनवाई की जिसमें आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवारों ने दावा किया कि गूगल और ट्विटर को आईएसआईएस की सहायता और उकसाने के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, जिसके परिणामस्वरूप उनके प्रियजनों की मृत्यु हो गई। कंपनियों को धारा 230 संरक्षण मिला है इस धारा के तहत कोई भी सोशल मीडिया कंपनी अपनी वेबसाइट पर उपयोगकर्ता द्वारा डाली गई चीजों के लिये जिम्मेदार नहीं होगी।
‘कम्युनिकेशन डीसेंसी ऐक्ट’ की ‘धारा 230’ को पहली बार वर्ष 1996 में अधिनियमित किया गया था। इसके तहत इंटरनेट कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर साझा किये गए डाटा से कानूनी सुरक्षा मिलती है। पहले इस धारा को ऑनलाइन पोर्नोग्राफी को रेगुलेट करने के लिये लाया गया था।
धारा 230 उस कानून का संशोधन है, जो कि यूजर्स/उपयोगकर्ताओं को उनके किये गए ऑनलाइन कमेंट्स और पोस्ट्स के लिये जिम्मेदार बनाता है। इस धारा के तहत कोई भी सोशल मीडिया कंपनी अपनी वेबसाइट पर उपयोगकर्ता द्वारा डाली गई चीजों के लिये जिम्मेदार नहीं होगी। अगर उपयोगकर्ता वेबसाइट पर कोई भी अवैध या लत चीज डालता/पोस्ट करता है, तो सोशल मीडिया कंपनी के खिलाफ मामला दाखिल नहीं किया जा सकता।