शेयर बाजार शुक्रवार को रिकार्ड ऊंचाई से नीचे आ गया। बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 336 अंक लुढ़क कर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी रिकार्ड ऊंचाई से नीचे आ गया। निवेशक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि आंकड़े आने से पहले सतर्क दिखें। ऐसी आशंका यह है कि आर्थिक वृद्धि दर और नीचे जा सकती है।तीस शेयरों वाला सेंसेक्स 336.36 अंक यानी 0.82 प्रतिशत टूटकर 40,793.81 अंक पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 95.10 अंक यानी 0.78 प्रतिशत की गिरावट के साथ 12,056.05 अंक पर बंद हुआ। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स 434.40 अंक यानी 1.07 प्रतिशत जबकि एनएसई निफ्टी 141.65 अंक यानी 1.18 प्रतिशत मजबूत हुए। सप्ताह के दौरान निवेशकों की धारणा मुख्य रूप से अमेरिका-चीन के बीच समारात्मक व्यापार वार्ता की खबरों से प्रभावित रही। साथ ही सरकार का उपभोक्ता मांग और आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये उठाये जा रहे कदमों का भी अच्छा असर रहा।इस बीच, सरकारी आंकड़े के अनुसार चालू वित्त वर्ष जुलाई-सितंबर तिमाही जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी तिमाही में 7 प्रतिशत थी। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘आर्थिक आंकड़े आने से पहले मुनाफावसूली तथाहांगकांग के मुद्दे पर चीन की तरफ सेअमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की आशंका में एशियाई बाजारों में बिकवाली दबाव से बाजार में उतार-चढ़ाव आया। हाल की तेजी से बाजार उच्च स्तर पर पहुंचा। इससे प्रमुख सूचकांकों के अल्पकाल में बेहतर प्रदर्शन की गुंजाइश सीमित हो सकती है। ऐसे में निवेशक मझोले और छोटी कंपनियों के शेयरों पर ध्यान दे सकते हैं। इन कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन निकट भविष्य में बेहतर रह सकता है।’’सेंसेक्स के शेयरों में येस बैंक को सर्वाधिक नुकसान हुआ। बैंक का शेयर 2.50 प्रतिशत नीचे आया। उसके बाद क्रमश: एचयूएल (2.37 प्रतिशत), महिंद्रा एंड महिंद्रा (2.12 प्रतिशत), एसबीआई (2.03 प्रतिशत), टाटा मोटर्स (2.03 प्रतिशत) तथा वेदांता (1.97 प्रतिशत) का स्थान रहा। वहीं दूसरी तरफ भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक तथा एनटीपीसी लाभ में रहे।जीडीपी आंकड़े को लेकर निवेशकों के सतर्क रुख के साथ वैश्विक बाजारों के कमजोर प्रदर्शन से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई। एशिया के अन्य बाजारों में हांगकांग (चीन), तोक्यो (जापान), कोस्पीऔर सियोल (दक्षिण कोरिया) नुकसान में रहे। हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन को अमेरिकी कानून के जरिये समर्थन देने से अमेरिका और चीन के बीच जल्दी व्यापार समझौता होने की उम्मीद को झटका लगा है। यूरोप के प्रमुख बाजारों में शुरूआती कारोबार में तेजी दर्ज की गयी।
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