जिसमें सब का हित निहित हो वही सत्साहित्य – डॉ अंशुल

गरिमापूर्ण  ऐसे  आयोजन  महासंघ के लिए मार्गदर्शक – मुनेश्वर मिश्र
चौबीसवें स्थापना दिवस पर सम्मानित हुईं इक्यावन प्रतिभाएं
प्रयागराज |
*जिसमें समाज के सभी वर्ग का हित सन्निहित होता है वही सत्साहित्य कहलाता है, वर्तमान संदर्भ में सत्साहित्य की महती आवश्यकता है |   जिन पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों का लोकार्पण हुआ उनमें सत्साहित्य का वास्तविक स्वरूप  प्रतिपादित किया गया है* उपरोक्त उद्गार सुप्रसिद्ध साहित्यकार अखिल भारतीय हिंदी महासभा के प्रांतीय अध्यक्ष डॉक्टर शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल जी ने उस समय व्यक्त किए जब वे हिंदी साप्ताहिक शहर समता के विशेषांक   सहित  मासिक साहित्यांजलि  प्रभा के जुलाई अंक एवं  नूतन साहित्य की अवधारणा ( लेखक डॉ राम लखन चौरसिया वागीश) पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में साहित्यकारों कवियों लेखकों को संबोधित कर रहे थे |
     अलोपीबाग स्थित महाराष्ट्र लोकसेवा मंडल के सांस्कृतिक सभागार में आयोजित लोकार्पण एवं सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि डॉक्टर शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल ने कहा कि पुस्तकें और पत्रिकाएं समाज के लिए अपरिहार्य आवश्यकताएं हैं इनका समय समय पर जन सामान्य के बीच पहुंचना आज बहुत जरूरी है |
   भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुनेश्वर मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे सारस्वत आयोजन  महासंघ के लिए मार्गदर्शक का काम करते हैं और  इसमें  निरंतरता इस बात का द्योतक है कि महासंघ के प्रति साहित्यकार कवि और पत्रकार संवेदनशील हैं | महासंघ प्रतिमाह   इस तरह के सारस्वत अनुष्ठान करके रचनाकारों  को सम्मानित करता है यह बहुत गौरव की बात है | इस गरिमा पूर्ण आयोजन की अध्यक्षता कर रहे पत्रकार महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष प्रभा शंकर ओझा ने कहा कि महासंघ विगत 23 वर्षों में देश के अग्रणी संगठनों में स्थान बना चुका है और हम अपने आगामी रजत जयंती वर्ष के अवसर पर और अधिक गरिमा पूर्ण ढंग से आयोजन कर सकेंगे , इसके लिए हम देश के अन्य प्रदेशों में भी अपनी इकाइयां गठित करने के लिए तत्पर हैं  | इसमें सभी सदस्यों का सहयोग अपेक्षित है  |  श्री ओझा ने आह्वान किया कि सभी प्रांतीय और राष्ट्रीय पदाधिकारी प्रत्येक माह कम से कम एक आजीवन सदस्य अवश्य जोड़ें जिससे महासंघ को बल मिलेगा | भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर भगवान प्रसाद उपाध्याय के  सरसठवें  जन्मदिन पर केंद्रित हिंदी साप्ताहिक शहर समता के विशेषांक का लोकार्पण समारोह का संचालन संपादक उमेश चंद्र श्रीवास्तव ने किया और विशिष्ट अतिथि के रूप में जनकवि प्रकाश , डॉ प्रदीप चित्रांशी, सच्चिदानंद मिश्र प्रोफेसर अवधेश अग्निहोत्री नगर की जानी-मानी कवियत्री श्रीमती उमा सहाय ने समारोह को संबोधित किया | महासंघ के मासिक मुखपत्र साहित्यांजलि प्रभा  के जुलाई अंक  एवं साहित्य प्रकोष्ठ के प्रांतीय सह प्रभारी डॉ राम लखन चौरसिया बागीश की पुस्तक   नूतन साहित्य की अवधारणा   का भी लोकार्पण इस अवसर पर किया गया | समारोह में 51 प्रतिभाओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया और उपस्थित कवियों ने काव्य पाठ करके साहित्यिक संध्या  को सुरमई बना दिया | विकास केलकर , पंकज गुप्ता, तलत महमूद, पाल प्रयागी ,विवेक सुमन शर्मा, शमशाद अली, डॉक्टर रश्मि शुक्ला , विनोद कुमार  , सुनीति  केसरवानी, चेतना प्रकाश  चितेरी, सिंपल काव्यधारा, मिली श्रीवास्तव, रुझान रस्तोगी, रंजन पांडेय  डॉक्टर आदित्य सिंह , बबलू सिंह बहियारी  , रतन कुमार, अनिल कुमार धुरिया , दीपक मौर्या, राजेश यादव , केशव प्रकाश सक्सेना, देवी प्रसाद पांडेय, रूद्रमणि द्विवेदी, के पी गिरी, अजीत शर्मा आकाश  , शिव पूजन सिंह  , प्रतीक शुक्ला, राम श्रृंगार शुक्ला  , अरविंद पांडेय, राकेश मालवीय मुस्कान , मीनू श्रीवास्तव, रचना सक्सेना, संजय सक्सेना, डॉ वीरेंद्र कुमार तिवार , अशोक कुमार तिवारी  सहित सैकड़ों पत्रकार साहित्यकार व कवि समारोह में उपस्थित रहे | धन्यवाद ज्ञापन डॉ भगवान  उपाध्याय ने किया |

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