श्री कृष्ण जन्मोत्सव या जन्माष्टमी के तौर पर देशभर में भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव जोरशोर से मनाया जाएगा। हिंदू धर्म के इस बेहद खास त्योहार को लेकर तैयारियां जोरशोर से जारी है। सनातन पंचांग के मुताबिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर वर्ष भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाती है। इसी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का भी जन्म हुआ था।
इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण के भक्त हर्षोल्लास के साथ बाल गोपाल का जन्मोत्सव मनाते है और उनका विशेष पूजन करते है। इस दिन कई भक्त व्रत और उपवास भी करते है। इस दिन दान करने का भी विधान है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं श्री कृष्ण जन्मोत्सव जन्माष्टमी के मौके पर मंदिरों में खास सजावट की जाती है और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिरों में भारी भीड़ होती है।
वहीं बताते हैं कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दुनिया के सबसे बड़े कृष्ण मंदिर में क्या होता है। बता दें कि दुनिया का सबसे बड़े कृष्ण मंदिर कोलकाता से 130 किलोमीटर दूर नदिया जिले के मायापुर स्थित है। ये मंदिर इतना भव्य और बड़ा है कि इसके निर्माण में ही कई वर्षों का समय लगा है। ये पहला मौका है जब इस वर्ष यानी 2023 की जन्माष्टमी के मौके पर भक्तों के लिए इस मंदिर के पट खोले गए है। इस बार मंदिर में जाकर श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर सकेंगे।
बता दें कि इस मंदिर के चेयरमैन यूएस की मशहूर ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड के संस्थापक अल्फ्रेड फोर्ड है। इस मंदिर की भव्यता की बात करें तो ये 6 हजार स्क्वायर फीट से भी अधिक क्षेत्र में बना है। इसकी ऊंचाई 350 फीट है। इस मंदिर में कुल सात फ्लोर बनाए गए है। इसमें यूटिलिटी फ्लोर, टेंपल फ्लोर, पुजारी फ्लोर, म्यूजियम फ्लोर बनाया गया है।
जानकारी के अनुसार इस मंदिर की एक और खासियत है वो ये है कि इसमें दुनिया का सबसे बड़ा पुजारी फ्लोर का निर्माण किया गया है। ये पुजारी फ्लोर पूरे 2.5 एकड़ में बना हुआ है। इस मंदिर में कीर्तन हॉल भी है जो कि 1.5 एकड़ में बना हुआ है। इस मंदिर में इतना भव्य स्थान है कि यहां 10 हजार भक्त एक साथ श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबकर भजन-कीर्तन कर सकते है।
जानकारों का कहना है कि इस मंदिर में खूबसूरती, भव्यता देखने योग्य है। मंदिर का इंटीरियर पश्चिम शैली में है। मगर मंदिर के अंदर जाकर हर भक्त श्रीकृष्ण भक्ति में डूब जाता है और यहां भक्तों को वैदिक संस्कृति का आभास होता है। इस मंदिर का निर्माण करने में कुल 800 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च हुई है। इस मंदर में टीचिंग टेंपल है। यहां भगवत गीता पर चर्चा के साथ विचार विमर्श भी होता है।