भारत में त्योहारों का मौसम शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान की पूजा के साथ ही गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस त्योहार को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर को मनाया जाएगा।
इस त्योहार को कई जगहों पर कलंक चतुर्थी, शिव चतुर्थी और डंडा चतुर्थी भी कहते है। बता दें कि गणेश चतुर्थी के साथ ही गणेश उत्सव की भी शुरुआत होती है जो कि अनंत चतुर्दशी तक जारी रहता है। यानी ये त्योहार पूरे 10 दिनों तक जारी रहता है। इस दौरान घर, मंदिर, पूजा पंडालों में भगवान गणेश की विधिवत स्थापना की जाती है। इस दौरान गणेश जी का विधिवत पूजन होता है। इसके बाद 10वें दिन अनंत चतुर्दशी के मौके पर भगवान गणेश का विधिवत विसर्जन होता है।
गणेश चतुर्थी के त्योहार में कुछ ही दिनों का समय शेष बचा है। इसे देखते हुए गणेश प्रतिमाएं तैयार कर ली गई है। पंडालों व सजावट की तैयारी भी पूरी हो गई है। अब सिर्फ पंडालों में प्रथम पूजनीय गणेश जी की स्थापना होनी शेष है। इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर भव्य आयोजन किया जाएगा। इस दौरान भक्त गणेश जी की पूजा करने के साथ ही धन, समृद्धि, सफलता की कामना करते हैं और गणेश जी का घर में स्वागत करते है। हिंदू पंचांग के मुताबिक गणेश चतुर्थी हर वर्ष भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। आम तौर पर ये तिथि अगस्त या सितंबर में होती है।
इस साल का मुहूर्त जानें
इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार 19 सितंबर को मनाया जाएगा। इस बार गणेश जी की मूर्ति का विधिवत विसर्जन 28 सितंबर को होगा। पंचांग के मुताबिक चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 बजे से होगी। वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01:43 बजे हो जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेशजी की मूर्ति विसर्जित की जाएगी।
बता दें कि इस वर्ष गणेश चतुर्थी के मौके पर कई शुभ संयोग भी बन रहे है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन दोपहर एक बजे तक स्वाति नक्षत्र रहेगा। ये बेहद ही शुभ योग है। इसके बाद विशाखा नक्षत्र भी बनेगा जिसका योग रात तक रहने वाला है।
ऐसे करें गणेश स्थापना
गणेश चतुर्थी के दिन गणेश जी की स्थापना करने के लिए सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें। घर का मंदिर साफ करें। चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। शुभ मुहूर्त में पूर्व या उत्तर दिशा में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करें। उनके आसपास ऋद्धि और सिद्धी की स्थापना भी करें। इसके बाद गणेश जी का विधिवत पूजन करें। उन्हें हल्दी, दूर्वा, इत्र, मोदक, चंदन, अक्षत से पूजन करें। उन्हें धूप-दीप दिखाएं और उनकी आरती करें। इसके बाद गणेश जी के मंत्रों का भी जाप करें। ऐसा करना बेहद लाभदायक बताया गया है।