जातीय जनगणना के मुद्दे पर पिछड़े नेताओं के निशाने पर रहे अखिलेश

जातीय जनगणना के मुद्दे पर विधानसभा में पिछड़ी जाति की राजनीति पर आधारित अपना दल, निषाद पार्टी और सुभासपा के नेताओं ने सपा को करारा जवाब दिया। तीनों दल के नेताओं ने सपा को कठघरे में खड़ा करते हुए सपा से पूछा कि चार बार सरकार बनाने वाली सपा ने सत्ता में रहते हुए जातीय जनगणना को लेकर कोई पहल क्यों नहीं की?

सरकार के सहयोगी दल अपना दल (एस) के नेता आशीष सिंह पटेल व निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद के अलावा सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि सपा के लिए यह मुद्दा सिर्फ सिर्फ राजनीतिक है, जबकि हमारे लिए यह एक भावनात्मक मुद्दा है। तीनों नेताओं ने जातीय जनगणना कराने पर सहमति जताते हुए कहा कि सपा इस मुद्दे को सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए उठा रही है।

बता दें कि राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बृहस्पतिवार को विधानसभा में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर जातीय जनगणना न कराने का आरोप लगाते हुए इन तीनों दलों के नेताओं से इस मुद्दे पर पूछा था कि आप लोग इसके समर्थन में हैं या नहीं। इसी कड़ी में दूसरे दिन चर्चा शुरू होने पर तीनों नेताओं ने इस मुद्दे पर अखिलेश को कठघरे में खड़ा किया।

अपना दल के नेता आशीष पटेल ने कहा कि उनके लिए यह मुद्दा नया नहीं है। उनकी पार्टी इस मुद्दे को 2012 से ही उटा रही है। उन्होंने कहा सपा सदस्यों से पूछा कि चार बार सत्ता में रहने के दौरान सपा ने कितनी बार इस मुद्दे को लेकर पहल किया है। उन्होंने यह भी मांग की कि सराकर में रहते हुए सपा ने यदि इस मुद्दे को लेकर एक बार भी लिखा-पढ़ी की हो तो वह कॉपी सदन के पटल पर रखी जाए।

आशीष ने कहा कि सपा जब विपक्ष में आती है तभी जातीय जनगणना की याद आती है। उन्होंने कहा कि सपा पिछड़ों के हित की बात तो करती है लेकिन करती नहीं है। सपा मुलायम सिंह के रक्षा मंत्री रहते हुए सैनिक स्कूलों में पिछड़ी जाति के बच्चों को आरक्षण की व्यवस्था तक नही करा पाई। उन्होंने देश में जब नीट की व्यवस्था लागू हुई तो उस समय केन्द्र में सपा के समर्थन से कांग्रेस की सरकार चल रही थी।

इसके बावजूद सपा ने नीट में पिछड़ी जाति के लिए आरक्षण की मांग नहीं उठाई। केन्द्र में जब नरेन्द्र मोदी की सरकार आई तो सैनिक स्कूलों, नीट, नवोदय विद्यालयों में आरक्षण की व्यवस्था लागू की गई। उन्होंने अखिलेश द्वारा सरकार की राजनीतिक विश्वनीयता पर उठाये गए सवाल का भी जवाब दिया। कहा, जो काम करता है, उसी की विश्वसनीयता बनती है।

फूलन की जमीन पर सपा विधायक ने कब्जा किया
कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने अखिलेश का नाम लिए बगैर कहा कि हम लोग एसी में बैठकर राजनीति करने वाले नहीं है। गांव में रहने वाले पिछड़ों व वंचितों के बीच जाकर काम करने वाले लोग है। सपा भूल चुकी है पिछड़ी जाति के लोग गांव में रहते हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के 67 वर्ष तक मुछुआ समाज के लिए मात्र 44 करोड़ ही दिए गए थे।

जबकि 2014 से 2020 के बीच मोदी सरकार ने 20 हजार करोड़ की धनराशि खर्च किया है। इससे स्पष्ट हैं कि पिछड़ों के लिए कौन काम कर रहा है। पहली बार केन्द्र और राज्य में मछुआरों के लिए अलग से मत्स्य मंत्रालय का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि मछुआरों का वोट लेने के लिए सपा ने फूलन देवी का इस्तेमाल किया, लेकिन आज उनकी भूमि पर सपा के एक विधायक ने कब्जा कर लिया है।

सपा को बुरा लगता है मुख्यमंत्री से हमारा मिलना
राजभर ने कहा कि सामाजिक न्याय के मुद्दे पर जब हम मुख्यमंत्री से मिलते हैं तो सपा को बुरा लगता है, लेकिन जब इनके नेता मिलते हैं तो ये कुछ नहीं बोलते। उन्होंने कहा हम मंत्री या सांसद बनने के लिए नहीं बल्कि सामाजिक न्याय के लिए लड़ते हैं। उन्होंने कहा कि 9 प्रांतों में सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अति पिछड़ों की 38 प्रतिशत आबादी है।

इसलिए मैं भी 11 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री से मिलकर भर और राजभर जाति को अनुसूचिति जाति में शामिल करने की मांग की थी। इसपर मुख्यमंत्री ने बताया था 13 जिलों की रिपोर्ट केन्द्र को भेज दी गई है और 12 जिलों की रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। उन्होंने भाजपा के प्रति नरम रूख दिखाते हुए यह भी कहा कि पहली केन्द्र में पिछड़ी जाति के दो लोगों मंत्री बनाया गया है।

निवेश पर श्वेत पत्र जारी करे सरकार
कांग्रेस नेता अराधना मिश्रा मोना ने चर्चा में भाग लेते हुए सरकार से 2018 के इंवेस्टर समिटि में हुए निवेश को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की। उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण को खाखले वादों का पिटारा बताते हुए कहा कि इसमें प्रदेश के विकास को लेकर कोई नई चीज देखने को नहीं मिली। उन्होंने कहा कि सरकार का 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का दावा एक सपना ही साबित होगा। उन्होंने पूर्व विधायकों के पेंशन की समीक्षा के लिए गठित समिति को फिर से पुनर्जीवित करने की भी मांग की।

जनसत्ता दल के नेता रघुराज प्रताप सिंह ने सरकार की नीतियों की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने काम किया है तभी 30 साल में जनता ने किसी सरकार को दूसरी बार सत्ता सौंपी है। उन्होंने सभी दलों से अधिक से अधिक दिनों तक सदन चलाने में मदद करने का अनुरोध करते हुए कहा कि सदन में हमारा व्यवहार कैसा है, जनता सब देख रही है। उन्होंने कहा कि नियमानुसार एक साल में 90 दिन सदन चलाने का प्रावधान है, लेकिन आज स्थिति बहुत खराब है।

जनता विकास के साथ ही जनप्रतिनिधियों के व्यवहार व जनसेवा की भावना का भी आकलन करती है। उन्होंने शांति पूवर्क धरना- प्रदर्शन करने वाले जनप्रतिनिधियों पर लगे मुकदमें खत्म करने, आचार संहिता लागू होने की अवधि में विधायक निधि से आर्थिक मदद देने की छूट देने और ग्रामीण सड़कों को गड्ढामुक्त करने की भी मांग रखी।

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