अमेरिका में जाति के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करने वाला सिएटल पहला शहर बना गया है। मंगलवार को सिएटल सिटी काउंसिल ने शहर के भेदभाव-विरोधी कानून में जाति को शामिल करने के पक्ष में मतदान किया। यह पहली बार है कि जब अमेरिका के किसी शहर ने जाति आधारित भेदभाव को दूर करने के खिलाफ कानून बनाया है।
यह कदम शहर के दक्षिण एशियाई प्रवासियों, विशेष रूप से भारतीय और हिंदू समुदायों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि भारत की जाति व्यवस्था दुनिया में सबसे पुरानी है। भारतीय-अमेरिकी सिएटल सिटी काउंसिल की सदस्य क्षमा सावंत ने कहा, जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई सभी प्रकार के उत्पीड़न से जुड़ी हुई है।
उन्होंने कहा कि जाति व्यवस्था हजारों साल पहले की है और उच्च जातियों को कई विशेषाधिकार देती है, लेकिन निचली जातियों का दमन करती है। दलित समुदाय भारतीय जाति व्यवस्था के सबसे निचले पायदान पर हैं। सावंत ने कहा, जातिगत भेदभाव केवल अन्य देशों में ही नहीं होता है, बल्कि इसका सामना दक्षिण एशियाई अमेरिकी और अन्य अप्रवासी कामकाजी लोगों को करना पड़ता है, जिसमें सिएटल और अमेरिका के अन्य शहर शामिल हैं।
भारत में जातिगत भेदभाव को गैरकानूनी घोषित करने के बाद भी बना हुआ पूर्वाग्रह
उन्होंने कहा कि 70 साल पहले भारत में जातिगत भेदभाव को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था, फिर भी यह पूर्वाग्रह बना हुआ है। हाल के वर्षों में कई अध्ययनों के अनुसार निम्न जातियों के लोगों को उच्च वेतन वाली नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व मिला। भले ही भारत ने छुआछूत पर प्रतिबंध लगा दिया है, फिर भी पूरे देश में दलितों को बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, जहां सामाजिक उत्थान के उनके प्रयासों को कई बार हिंसक रूप से दबा दिया गया है।