जगद्गुरु सूर्याचार्य कृष्णदेवनंद गिरिजी महाराज ने की सनातन धर्म की महिमा पर चर्चा

नाविकों द्वारा श्रधालुओं से  अवैध वसूली पर उठाई आवाज*
महाकुंभ नगर : 144 वर्षों बाद लगने वाले ऐतिहासिक महाकुंभ 2025 में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। इस बीच, श्री जगद्गुरु सूर्याचार्य कृष्णदेवनंद गिरिजी महाराज, पीठाधीश्वर सूर्यपीठ गुरुस्थान मुरली आश्रम, द्वारका ने मीडिया से बात करते हुए महाकुंभ की महिमा, सनातन धर्म की वैश्विक पहचान और अवैध वसूली जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी बात रखी।
महाकुंभ के चार शाही स्नान पूर्ण हो चुके हैं और पांचवें स्नान की तैयारियां जोरों पर हैं। इस पावन अवसर पर जगद्गुरु सूर्याचार्य कृष्णदेवनंद गिरिजी महाराज ने कहा,
“महाकुंभ में प्रत्येक शाही स्नान के दौरान देवी-देवता स्वयं संगम तट पर विराजमान होते हैं। जब भी मैं स्नान के लिए गया, मुझे उनके दिव्य अस्तित्व का अनुभव हुआ। संतों के रूप में भी देवी-देवता इस पवित्र भूमि पर विचरण कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि सनातन धर्म ही दुनिया का सबसे पुराना और शाश्वत धर्म है, जिसकी जड़ें पूरी दुनिया में फैल रही हैं।
“मैंने अब तक 25 कुंभ स्नान किए हैं, लेकिन इस महाकुंभ की ऊर्जा और दिव्यता अलग ही है। पूरी दुनिया भारत की सनातन संस्कृति की ओर आकर्षित हो रही है। विदेशी साधु-संत भी सनातन धर्म को अपना रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि सत्य सनातन ही है।”
महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के अवसर पर जगद्गुरु सूर्याचार्य कृष्णदेवनंद गिरिजी महाराज ने मृत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके मोक्ष की कामना की।
लेकिन इस आस्था के महापर्व में कुछ अवैध गतिविधियां भी श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का कारण बन रही हैं।
“महाकुंभ क्षेत्र में नाविक श्रद्धालुओं से 2000 से 3000 रुपये तक की अवैध वसूली कर रहे हैं, जिससे आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन को इस पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि श्रद्धालु निर्बाध रूप से आस्था का आनंद उठा सकें।”
महाकुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन व्यापक इंतजाम करने का दावा कर रहा है, लेकिन अवैध वसूली जैसी समस्याएं एक बड़ी चुनौती बनी हुई हैं।
महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और परंपरा का महापर्व है। जहां एक ओर यह सनातन धर्म की महिमा को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अवैध वसूली जैसी समस्याएं प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती बन गई हैं।
अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है और श्रद्धालुओं को निर्बाध रूप से आस्था के इस महापर्व का हिस्सा बनने का अवसर कैसे प्रदान करता है।

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