जंगलों में बाढ़ के पानी से जानवर हुए बेहाल, ड्रोन और ट्रैप्स कैमरे के फुटेज देखकर चलाया जा रहा अभियान

उत्तराखंड में बाढ़ से मुरादाबाद के अमानगढ़ के जंगल के जानवर मुश्किल में हैं। इंटरनेट मीडिया पर दो दिन पहले ही हाथी के बाढ़ में फंसने का वीडियो वायरल हुआ, जिसे बचा लिया गया। यह वीडियो उत्तराखंड के हल्द्वानी का था। नदी किनारे वाले क्षेत्र में हिरण और बारहसिंगा भी फंस गए। इनमें से कैमरे में दिखने वाले कुछ जानवरों को बचा लिया गया। उधर, बाढ़ आपदा का सामना कर रहे पीलीभीत के ग्रामीणों के लिए एक और मुसीबत आ गई। नदियों से बहकर खेतों तक पहुंचे मगरमच्छ हमलावर होने लगे। मंगलवार से गुरुवार तक तीन स्थानों पर मगरमच्छों के हमले हुए। इनमें एक ग्रामीण की मौत हो गई, जबकि दो घायल हैं।बता दें, जिम कार्बेट पार्क का साढ़े आठ हजार वर्ग मीटर का हिस्सा मुरादाबाद की अमानगढ़ रेंज का जंगल है। इसमें भी बड़ी संख्या में जंगली जानवर हैं। वन विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार उत्तराखंड में बारिश के बाद जंगल में भी बाढ़ ने बहुत प्रभावित किया है। अमानगढ़ क्षेत्र में कुछ वर्ग किमी का नदी से लगा क्षेत्र इससे प्रभावित हुआ। अचानक पानी आने से सियार, हिरन और बारहसिंगा बाढ़ की चपेट में आ गए। इनमें से दो जानवर वन विभाग कै कैमरों की जद में आए तो उन्हें बचाया गया। अन्य जानवरों को बचाने के लिए भी एक सप्ताह जानवरों को बचाने के लिए अभियान चलाया गया, जिसमें छोटे जानवर बचाए गए।

मंगलवार शाम पीलीभीत के सिद्धनगर गांव में रहने वाले किसान अवतार सिंह अपनी पशुशाला में गए थे। वहां चारों ओर पानी भरा था, इसलिए भूखे पशुओं को चारा डालने के लिए सूखी जगह तलाश रहे थे। स्वजन के अनुसार, करीब चार फीट तक भरे पानी में मगरमच्छ भी था। अवतार सिंह को इसका आभास नहीं हुआ। अचानक उसने अवतार सिंह का पैर जबड़े में दबाया और खींचता ले गया। उनके चीखने की आवाज सुनकर परिवार के लोग पहुंचे मगर, कुछ पता नहीं चला। बुधवार को पशुशाला से करीब तीन सौ मीटर दूर उनका शव मिला।

पहाड़ी पानी से विकराल रूप धारण कर चुकी शारदा नदी के प्रवाह से लखीमपुर खीरी के समदहा गांव में तटबंध टूट गया। इसकी आशंका एक दिन पहले ही हो गई थी, लेकिन तहसील प्रशासन ने यहां से लोगों को निकालने के कदम नहीं उठाए। तटबंध टूटने के बाद पूरा समदहा गांव नदी जैसा बन गया है। शुक्रवार सुबह प्रशासन सक्रिय हुआ। डीएम ने नाव और स्टीमर के जरिये बाढ़ में फंसे 116 लोगों को बाहर निकलवाया। कुछ लोगों ने घर छोड़कर आने से मना कर दिया। समदहा के बाद नदी का पानी तेज बहाव के साथ आसपास के गांव रैनी, बमहौरी, राजापुर भज्जा आदि में फैल रहा है। बेलवा, सरसवां, रसूलपुर, रेहुआ, बसंतापुर, हरदी जाने वाले रास्तों पर तेज बहाव के साथ पानी चल रहा है। बेलवा में पूर्व मंत्री रहे यशपाल चौधरी के घर और रसूलपुर के चौधरी बेचेलाल महाविद्यालय में भी बाढ़ का पानी घुस गया है। कई बार गोकुल पुरस्कार जीतने वाले वरुण चौधरी की गोशाला में भी करीब चार फीट पानी बह रहा है। ऐसे में रेस्क्यू किए गए बाढ़ पीड़ितों को ठहराने के लिए सुरक्षित जगह की परेशानी भी सामने है।

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