छेड़खानी पर छोड़ें नहीं, कहती हैं श्रिया सरन

दृश्यम 2 का प्रस्ताव कैसे मिला?

पहली बार जब निर्माताओं ने बताया तो मैं बार्सिलोना में थी। मेरी बेटी राधा का जन्म हो चुका था। निर्देशक अभिषेक पाठक ने बताया था कि वह कहानी लिख रहे हैं, जिसका आधार वही रहेगा। मैंने कहा कि मैं मूल मलयालम फिल्म के सभी कलाकारों की बड़ी प्रशंसक हूं, लेकिन मैं वह फिल्म नहीं देखूंगी। जब आप मूल फिल्म नहीं देखते हैं तो अपना अंदाज फिल्म में लेकर आते हैं।

मां बनने के बाद काम, घर और बेटी को संभालने में संतुलन कैसे बिठाती हैं ?

मुझे पहले भी काम करना पसंद था। मुझे बेटी को दिखाना है कि उसकी मां बहुत मेहनत से काम करती हैं। वो वर्किंग माम हैं। कल को जब वो मेरी फिल्म देखे तो गर्व करे कि उसके जन्म के बाद मैंने यह फिल्म की। मैंने यही सीखा है कि लगातार कड़ी मेहनत करनी चाहिए। बड़ी होने पर वह जो भी प्रोफेशन चुनना चाहे चुने। जब वह सुबह उठे तो काम पर जाने में खुशी महसूस करे। वह मुझे काम करते हुए देखे और उसका महत्व समझे। जब मैं राधा को बाय कहकर घर से निकलती हूं तो यह सुनिश्चित करती हूं कि यह बहुत खूबसूरत फिल्म के लिए है।

बेटी का नाम राधा क्यों रखा?

जब हमें पता चला कि हमारी बेटी होने वाली है तो मैंने फोन पर मां को बताया। उन्होंने कहा राधे राधे। जब मैंने फोन रखा तो पति ( रूसी टेनिस खिलाड़ी और बिजनेसमैन एंड्रे कोसचीव) ने उसका अर्थ पूछा। मैंने बताया कि मां भगवान श्रीकृष्ण की भक्त हैं। श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम त्याग, समर्पण और अटूट विश्वास का प्रतीक है। राधा का अर्थ खुशी भी होता है। वो मुस्कुराए। उन्होंने कहा कि रूसी भाषा में भी राधा नाम होता है। उसका अर्थ  भी खुशी है। बस तय हो गयािक हम अपनी बेटी का नाम राधा रखेंगे।

आप हिंदी के साथ दक्षिण की फिल्मों में काम कर रही हैं। दक्षिण की फिल्में डब होकर प्रदर्शित हो रही हैं। इस दौर को लेकर क्या सोचती हैं ?

कोविड के बाद फिल्में देखने का तरीका काफी बदल गया है। लोगों ने वैश्विक कंटेंट देखना आरंभ किया है। उसमें भाषा मायने नहीं रखती। सब टाइटल के साथ लोग फिल्में देखते हैं। यह बेहतरीन बदलाव है। सिनेमा में भाषा की सीमाएं खत्म हो रही हैं। हमारी फिल्में भारतीय सिनेमा के तौर पर पहचानी जाती हैं। अब कहानी बदल रही है। कलाकारों को भी विविध भूमिकाएं निभाने का मौका मिल रहा है। अब कंटेंट ही किंग है।

दृश्यम 2 में आपकी बेटी छेड़खानी के बारे में नहीं बताती है। इस पर बात करना कितना आवश्यक है ?

मुझे लगता है कि घर में कितना ही सहज माहौल हो, लड़कियां ऐसी बातें नहीं बता पाती हैं। उनके साथ कुछ बुरा होता है तो उसे समझ पाना और उसके बारे में बात करना आसान नहीं है। छेड़खानी होती है तो भी नहीं बता पाती हैं। अगर वो अपनी समस्या के बारे में बता दें तो आधी समस्या वहीं पर हल हो जाएगी। आज बहुत आवश्यक है कि बच्चे माता-पिता के साथ खुलकर बात करें।

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