चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है जो 11 अप्रैल को पारण के साथ समाप्त होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के साथ चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होने के साथ हिंदू नव वर्ष भी शुरू हो रहा है। चैत्र नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। जहां पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा के साथ घटस्थापना भी की जाएगी। इसके साथ ही नवरात्रि के दिनों में नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से देवी मां की कृपा हमेशा बनी रहेगी।
श्री दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥