चीन की कम्युनिस्ट पार्टी मीडिया के सभी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। यही वजह है कि चीनी अधिकारियों ने समाचार संस्थानों में निजी निवेश पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। अमेरिकी ब्राडकास्टर वायस आफ अमेरिका (वीओए) ने बताया कि जो मसौदा पेश किया गया था, उसके मुताबिक निजी स्वामित्व वाली फर्मो को मीडिया कंपनियों में निवेश करने से प्रतिबंधित किया जाएगा। इसमें टीवी चैनलों की स्थापना और विदेशी समाचार पत्र समूहों की न्यूज को दोबारा प्रकाशित करना आदि शामिल है।
मीडिया से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह प्रस्ताव वास्तव में विपक्ष की आवाज को चुप कराने का प्रयास है। चीन के एक राजनीतिक टिप्पणीकार वू जुओलाई ने वीओए को बताया कि मीडिया की भूमिका को सीमित करके सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी विरोध में उठने वाली आवाजों को दबाना चाहती है। माना जा रहा है स्थानीय सरकारें इस नियम को बेहद सख्ती के साथ लागू कर सकती हैं।
झिहू पर एक पोस्टर में कहा गया है, ‘मीडिया की भूमिका को सीमित करने से जनता की राय विकृत हो जाएगी। स्थानीय सरकारें इस नियम को बेहद सख्त उपायों के साथ लागू कर सकती हैं।’ उधर, इस प्रस्ताव पर इंटरनेट मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मीडिया की स्वतंत्रता में और गिरावट आएगी