बनारस के डिविजिनल कमर्शियल मैनेजर रमेश पाण्डेय ने किया मेले का अवलोकन
महाकुम्भ नगर । तीन नदियों का संगम प्रयागराज के महत्व को बढ़ा देता है और इसमें भी गुप्त सरस्वती का विशेष महत्व है। संगम कई स्थानों पर है किन्तु गुप्त सरस्वती का मिलना संगम के महत्व को विशेष बना देता है। आध्यात्मिक रूप से देखें तो मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहते हैं। इसलिए वसंत पंचमी पर त्रिवेणी संगम में स्नान बहुत विशेष माना जाता है। जिसका भावार्थ ज्ञान स्नान से है।
उक्त बातें सेक्टर-7 में ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा लगाए गए ‘ज्ञानकुम्भ’ में आयोजित आध्यात्मिक सभा को संबोधित करते हुए *माउण्ट आबू से पधारीं अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त स्व-प्रबंधन एवं व्यक्तित्व विकास विशेषज्ञा राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी* ने कही। उन्होंने बतलाया कि कलियुग अंत और सतयुग आदि का समय पुरुषोत्तम संगमयुग कहलाता है और इस समय स्वयं परमात्मा शिव आध्यात्म और आस्था अर्थात् ज्ञान और योग के द्वारा जीवन को सुन्दर बनाकर आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना का अद्वितीय कार्य कर रहे हैं।
*गृहस्थ और आध्यात्म का रखें संतुलन….*
दीदी ने बतलाया कि आध्यात्म को अपनाने के लिए गृहस्थ को छोड़ने की आवश्यकता नहीं है बल्कि अपने गृहस्थ जीवन में आध्यात्म को स्थान देकर संतुलित जीवन जीना है। जब गृहस्थ जीवन में दिव्यता आ जायेगी तब स्वतः ही दैवीय दुनिया अर्थात् घरा पर स्वर्ग की स्थापना हो जायेगी। आध्याम में मेरे पन का हद नहीं सिखलाता, आध्यात्म तो बेहद की ओर ले जाता है अर्थात् वसुधैव कुटुम्बकम की भावना सिखलाता है।
*संस्था से जुड़ना गौरव की बात…*
दीदी ने कहा कि ब्रह्मा कुमारीज की स्थापना 88 वर्ष पुर्व, आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना के कार्य अर्थ स्वयं परमपिता परमात्मा शिव ने प्रजापिता ब्रह्मा के द्वारा कराई।
इस आध्यात्मिक संस्थान की शिक्षाएं चरित्र निर्माण के साथ सत्यता की सूक्ष्म परिभाषा भी बतातीं है ऐसी संस्था से जुड़ना गर्व की बात है।
*कल 5 फ़रवरी 3 बजे संत सम्मेलन को करेंगे संबोधित…*
मेला प्रभारी ब्रह्माकुमारी मनोरमा दीदी ने कहा कि कल, दिनांक 5 फरवरी को मेला ग्राउण्ड में दोपहर 3 बजे से आयोजित संत सम्मेलन को ब्र.कु. उषा दीदी व अन्य संत महात्माजन संबोधित करेंगे। अंत में दीदी ने सभी को ईश्वरीय प्रसाद वितरित किये।
कार्यक्रम में माउण्ट आबू के बी.के. निर्मल भाई, बी.के. विजय भाई, बी.के. रघु भाई एवं बी. के. संध्या बहन सहित देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए ब्रह्मावत्स बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
*उत्तर मध्य रेलवे के डिविजिनल कॉमर्शियल मैनेजर रमेश पाण्डेय* ने मेले में लगाए गए प्रदर्शनी का अवलोकन करने के पश्चात अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मेले में प्रवेश के समय मन में कई चीजें थीं जो अंदर से बाहर आते तक दूर हो गईं। हम सभी बाह्य आडम्बरों में फंसे रहते हैं अपने आपको समय नहीं दे पाते। जबकि ये मेला हमें अपने को समय देने और रिलैक्स रहने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि जो भी ये मेला देखेगा, निश्चित रूप से उनके विकार दूर होंगे।