प्रयागराज । राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त मानस मर्मज्ञ कथा व्यास राजेंद्र जी ने मां कल्याणी देवी मंदिर परिसर में भगवान राम की कथा सुनाते हुए कहा कि जब तक कथा वक्ता एवं कथा श्रोता के बीच मानसिक संबंध नहीं जुड़ता तब तक कथा का फल श्रोता को नहीं मिलता। व्यास जी ने कहा कि गुरु निष्ठा एक बहुत बड़ी कसौटी होती है। शास्त्रों का मंथन करके ऋषि-मुनियों देवियों ने अलग-अलग मंत्र अपनाएं। शंकर भगवान ने भगवान के राम नाम को अपना मंत्र बनाया और राम को अपना इष्ट। इसीलिए जब सागर मंथन से जहर निकला तो पीने के लिए शंकर भगवान को दे दिया किंतु विष का कोई प्रभाव उनके ऊपर नहीं रहा।
व्यास जी ने बताया कि थोड़ा सा भी कष्ट आ जाने पर व्यक्ति का धैर्य टूट जाता है और प्रभु की कृपा और गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान मंत्र से विश्वास टूट जाता हैं। मंच चाहे छोटा हो या बड़ा उसमें विश्वास होना चाहिए। घोर तपस्या से पार्वती जी को शंकर भगवान पति के रूप में मिलेंगे नारद जी द्वारा बताई गई इस बात पर पार्वती ने विश्वास किया और भगवान शंकर से उनका विवाह हुआ। व्यास जी ने विवाह व लोकगीतों के माध्यम से भगवान शंकर की बरात में आए देवताओं एवं भूत प्रेतों का अद्भुत वर्णन किया। उनके विवाह के बाद कार्तिक जी नाम का पुत्र हुआ जिन्होंने तारका सुर का वध किया। भगवान शंकर शिव पार्वती जी ने भगवान राम की कथा सुनाने को कहा। गोस्वामी जी कहते हैं कि जब तक एकांत जीवन में व्यक्ति मर्यादा का पालन नहीं करेगा तब तक मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का प्राकट्य उसके जीवन में नहीं होता।
श्री नव संवत सर मानस समिति के संयोजक पंडित सुशील पाठक ने बताया की राम कथा प्रतिदिन सांय 7:30 बजे से 11:00 बजे तक मां कल्याणी की आरती प्रतिदिन सांय 7:00 बजे मां का नित्य नूतन भव्य श्रृंगार दर्शन सांय 6:00 बजे से रात्रि 12:00 बजे तक तथा शतचंडी महायज्ञ प्रतिदिन प्रातः 8:00 से 11:00 एवं सांय 4:00 से 6:00 बजे तक होता है।