गीता जयंती को श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था गीता का उपदेश

हिन्दू धर्म में भगवदगीता का विशेष महत्व है लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल में एक दिन गीता जयंती मनायी जाती है तो आइए हम आपको इस पावन पर्व के बारे में कुछ खास जानकारी देते हैं। साथ ही आपको गीता जयंती के महत्व, शुभ मुहूर्त तथा पूजा-विधि से परिचित कराते हैं।

जानें गीता जयंती के बारे में
अगहन महीने की शुक्ल पक्ष की एकदाशी को गीता जंयती मनाई जाती है। यह पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है इस दिन भगवदगीता पढ़ना और सुनना बहुत शुभ माना जाता है। गीता जयंती मोक्षदा एकादशी के दिन मनायी जाती है। इस साल 8 दिसम्बर को गीता जयंती मनायी जा रही है। भगवदगीता को 18 अध्यायों में विभाजित किया गया है जिसमें ज्ञानयोग, कर्मयोग तथा भक्तियोग की विवेचना की गयी है। इसमें पहले के 6 अध्यायों में कर्मयोग, उसके बाद 6 अध्‍यायों में ज्ञानयोग और अंतिम 6 अध्‍यायों में भक्तियोग का उपदेश दिया गया है।
गीता जयंती का मुहूर्त 
इस बार की गीता जयंती का खास महत्व है। यह इस वर्ष 8 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन विभिन्न के शुभ काम किए जाते हैं।
गीता जयंती से जुड़ी पौराणिक कथा
गीता जयंती न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी धूमधाम से मनायी जाती है। गीता जयंती इस बात का प्रतीक है यह संसार नश्वर है तथा यह कुछ भी स्थायी नहीं है। अर्जुन युद्ध के दौरान बहुत भयभीत हो गए और उन्होंने लड़ने से इंकार कर दिया। तब श्रीकृष्ण को अर्जुन के मोह का भान हुआ और उन्होंने अर्जुन आसक्त भाव से कर्म करने का उपदेश दिया। भगवान श्रीकृष्ण ने उस समय अपना विकराल रूप धारण कर अर्जुन को वास्तिवक जगत का परिचय कराया। गीता के उपदेश सिर्फ उपदेश नहीं बल्‍कि यह हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुए इस संवाद को श्रीमद भगवदगीता कहा जाता है। इस समय भगवना कृष्ण ने विकराल रूप धारण कर जगत की वास्तिवकता से अर्जुन को परिचित कराया। तब से लेकर आज तक गीता के इस उपदेश की सार्थकता बनी हुई है। श्रीकृष्ण के इस उपदेश से अर्जुन का मोह भंग हो गया और वह युद्ध करने को तैयार हो गए।

ऐसी मनायी जाती है गीता जयंती 
गीता जयंती विशेष पर्व होने के कारण देश भर में धूमधाम से मनायी जाती है। गीता जयंती के दिन न केवल भगवदगीता का पाठ किया जाता है लोग उपवास रखकर पूजा-प्रार्थना भी करते हैं। इस दिन देश भर में मौजूद इस्कॉन मंदिर में श्रीकृष्ण तथा गीता की भी पूजा होती है। इसके अलावा गीता के उपदेश भी पढ़े और सुने जाते हैं।
गीता जयंती का है बहुत महत्व  
गीता जयंती के दिन भगवदगीता का प्रतीकात्मक जन्म माना जाता है। इसकी उत्पत्ति महाभारत युद्ध के समय हुई थी। जब युद्ध क्षेत्र में कौरव और पांडवों को आमने सामने देखकर अर्जुन ने युद्ध करने से मना कर दिया था तब श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश देकर इस जगत के नश्वर होने का ज्ञान कराया। इसके बाद अर्जुन युद्ध करने को तैयार हुए थे। ऐसी मान्यता है कि गीता का जन्म कलयुग से 30 साल पहले हुआ था।

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