गंगा दशहरा

बहुत खुशनुमा होती है संगम की हर सुबह

सुधीर अग्निहोत्री

प्रयागराज। अगर मैं यह कहूं संगम की सुबह के आगे सुबह-ए-बनारस की ठसक भी फीकी पड़ जाती है , तो इसमें बेवजह कुछ भी न होगा। यकीनन बहुत खुशनुमा होती है संगम की हर सुबह। बड़ी बहन गंगा जिस हुलास से आगे बढ़कर छोटी बहन यमुना को गले लगाती हैं, यह मंजर देखते ही बनता है। सूरज की प्रथम रश्मियां आसमां से उतर कर इस प्यार भरे मिलन का अभिनंदन सी करती प्रतीत होती हैं, तो पल भर को ऐसा महसूस होता है मानो दिनकर संगम को अपनी सुनहरी छटा से आच्छादित कर लेना चाहते हैं।
कालिन्दी का नीला जल और पुण्यदायिनी गंगा की जलधाराएं जहां मिलती हैं, वहां एक लकीर सी दिखती है। इस लकीर के ऊपर परवाज भरते हुए परिंदों की चहक देखते ही बनती है। पुण्यतोया को छूकर उड़ता पवन इन परिन्दों को लय और गति का संदेश सा देता महसूस होता है। ‘जय गंगा मइया’ ‘हर हर गंगे’ एवं ‘जय जय सुरसरि’ के जयघोषों के साथ आस्थावानों को स्नान करते देख लगता है मानो बच्चे वत्सला की विशाल गोद में खेल रहे हैं और मइया उन्हें अपने स्नेह से अभिसिंचित कर रही हैं। घाट किनारे से उठता धूप दीपों का धुआं जल धारा में झिलमिलाते दीये और फजांओं में गूंजते पूजन-भजन के पावन स्वर वातावरण की पावनता को और बढ़ा देते हैं। ‘चंदनस्य महत्यपूर्णम पवित्रम् पाप नाशनम् ’ कहते हुए पण्डितजी जब माथे पर चंदन लगाते हैं, तो भगत की तनाव पूर्ण जिंदगी से सुलगते हुए जेहन को सुकून भरी ठंडक पहुंचाती है। चंदन से सनी हुई हाशिए की अंगुलियों को देखकर बचपन में दी गई गुरूजी की सीख याद आ जाती है।- ‘दूसरों की माथे पर चंदन लगाओ तो अंगुलियां तुम्हारी भी महकेंगी।’
आस्था के अनेक रंग संगम की सुबह को और जीवंत बना देते हैं। काई नवविवाहिता मां गंगा से अखंड सुहाग की प्रार्थना करती है तो कुछ जोड़े हाथ पकड़ कर इस कामना के साथ पवित्र डुबकी लगाते हैं कि यह साथ जन्म-जन्मांतर तक बना रहे। कोई मां से निरोगी काया मांगता है तो कोई कुलदीपक। वत्सला समान भाव से सबकी सुनती हैं। मंत्रोच्चार, भवन पूजन, चंदन रोली, धूप दीप से परिष्कृत संगम की सुबह को गंगा आरती एक खास रंग में भर देती है। आस्था के नैवेद्य से सजी संगम की हर सुबह जीवन और गतिशीलता का संदेश देती है। मां गंगा के प्यार की अनुभूति से मन पुलकित हो उठता है और अनायास की शायर मुनव्वर राना का यह शेर लबों पर सिमट आता है –
तेरे आगे मां भी मौसी जैसी लगती है,
तेरी गोद में गंगा मैया अच्छा लगता है।

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