भारत ने हिंसा प्रभावित हैती में भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन की शुरुआत कर दी है। इस ऑपरेशन का नाम इंद्रावति है। इस ऑपरेशन के तहत 12 भारतीयों को हैती से अबतक सुरक्षित निकाल लिया गया है। इस ऑपरेशन की जानकारी विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दी है। उन्होंने कहा है कि भारत सरकार विदेशोें में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध है। उन्होंने भारत के ऑपरेशन इंद्रावति में मदद करने के लिए हैती के पड़ोसी डोमेनिकन रिपब्लिक को धन्यवाद भी दिया है। कैरिबियाई देश हैती महीनों से हिंसा की चपेट में है। कुछ दिन पहले ही हथियारबंद गैंग के समूहों ने देश की राजधानी में पुलिस स्टेशन, जेल और दूसरे स्थानों पर हमला करके शहर की व्यवस्था को खराब कर दिया था। हालात इतने खराब है कि अमेरिका ने अपने दूतावास के कर्मचारियों को एयरलिफ्ट करके निकाला। हैती के प्रधानमंत्री ने तो अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया।
हैती में भारत का कोई दूतावास नहीं है और देश की स्थिति पर डोमिनिकन गणराज्य की राजधानी सैंटो डोमिंगो में भारतीय मिशन द्वारा निगरानी रखी जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने 15 मार्च को अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि हैती में 75 से 90 भारतीय हैं और उनमें से लगभग 60 ने “जरूरत पड़ने पर” भारत लौटने के लिए भारतीय अधिकारियों के साथ पंजीकरण कराया है। उन्होंने कहा था कि हम सभी को निकालने के लिए तैयार हैं।
हैती की राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस में सोमवार तड़के गिरोहों ने आसपास के इलाकों में हमले किए, जिसमें कम से कम एक दर्जन लोग मारे गए। हथियारबंद लोगों ने लाबूले और थोमसिन इलाकों में घरों में लूटपाट की, जिसके चलते लोगों को वहां से भागने को मजबूर होना पड़ा जबकि कुछ ने रेडियो स्टेशनों के माध्यम से पुलिस से मदद की गुहार लगाई। पोर्ट-ऑ-प्रिंस में 29 फरवरी को हिंसक गिरोहों के हमलों के बावजूद आसपास के इलाकों में स्थिति शांतिपूर्ण थी। एसोसिएटेड प्रेस के एक फोटो पत्रकार ने लाबूले और थोमासिन इलाकों के करीब पेटियनविल्ले में सड़कों पर कम से कम 12 पुरुषों के शव देखे हैं।