आर.के. सिन्हा
आप गौर करें कि देश में एक तबका संसद में पारित कानूनों से लेकर विभिन्न न्यायालयों के फैसलों का भी सार्वजनिक तौर पर घनघोर अपमान करने लगा है। इसका ताजा उदाहरण नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) है। इन्हें संसद के दोनों सदनों ने भारी बहुमत से पारित किया गया, पर इसके बावजूद इनका पिछले डेढ़ महीने से देश के कुछ भागों में विरोध भी हो रहा है। नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आकर देश में बरसों पहले से ही रह रहे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामलीला मैदान के अपने संबोधन में भी यह स्पष्ट तौर पर कहा कि इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक की,चाहे वह किसी भी समुदाय का हो नागरिकता नहीं जाएगी। पर भारी बहुमत से निर्वाचित देश के प्रधानमंत्री मोदी के आश्वासन को भी माना ही नहीं जा रहा है। क्या किसी लोकतांत्रिक देश में प्रधानमंत्री से भी कोई अहम पद होता है? एक खास धर्म से जुड़े प्रदर्शनकारियों का कहना है कि धर्म आधारित नागरिकता का यह प्रावधान विभेदकारी और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। जहां एक धर्म विशेष के लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वहीं भाजपा से खुन्नस खाने वाली कुछ निराश राजनीतिक पार्टियों को उपर्युक्त कानून के बहाने केन्द्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का विरोध करने का बहाना ही मिल गया गया है। छ्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और बंगाल जैसे राज्य जो कांग्रेस और टीएमसी द्वारा शासित हैं,वे नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं।
सीएए और एनआरसी का विरोध करने वालों ने अपनी भड़ास निकालने के लिए जिस तरह से सरकारी संपत्ति को तबाह किया है, जा जीवन की दिनचर्या को अवरुद्ध किया है उसे तो कोई माफ नहीं कर सकता है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये की सरकारी संपत्ति को स्वाहा कर दिया गया। इस सारे मसले से आहत होकर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान में सही ही कहा था कि मेरे विरोधी अगर मुझसे नफरत करते हैं तो मुझे निशाना बना लें। लेकिन, सार्वजनिक संपत्ति को आग न लगाएं। यह बेशक जरूरी नहीं है कि आप मौजूदा सरकार के सभी फैसलों और कामों से सहमत हों। आप इनका शांतिपूर्ण तरीके से विरोध भी कर सकते हैं। इसमें कुछ गलत भी नहीं है। इसके लिये आप अगले चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के हटाने की भरपूर कोशिश कर लें। पर याद रख लें कि मोदी को देश की जनता ने लोकतान्त्रिक तरीके से ही चुनकर प्रधानमंत्री बनाया है।