आर.के. सिन्हा
रविवार को जनता कर्फ्यू के दौरान देशभर के करोड़ों लोगों ने एक अरसे के बाद सुबह परिंदों के चहचहाने की आवाजें सुनीं। सच में कोरोना वायरस से भयभीत माहौल में पंछियों को देखना–सुनना सुखद अनु अनुभव था। पर प्रलय की तरफ जाती दुनिया को बचाने के लिए अभी और कई “जनता कर्फ्यू” और “नेशनल लॉकडाउन” जरूरी होंगे। अभी इन बिन्दुओं पर सोचने–विचारने का वक्त ही नहीं है कि इन कठोर कदमों का देश की आर्थिक स्थिति पर कितना नकारात्मक असर होगा। फिलवक्त यह सवाल गौण है। आर्थिक स्थिति का अर्थ तभी है जब आप जीवित बचेंगे। हालांकि कुछ समझदार मित्र अब भी इस मसले को उठाते हुए सरकार को कोस रहे हैं। इस बीच, मुंबई में बसे पूर्वांचली मजदूरों का लाखों की तादाद में अपने गावों की ओर लौटना निश्चित रूप से ही चिंता का कारण है। उन्हें अभी धैर्य से काम लेना चाहिए। वे तो ऐसा करके सरकार के सामने अनावश्यक रूप से संकट ही पैदा कर रहे हैं।
बहरहाल, अभी तो लगभग पूरे विश्व में ही जीवन–मरण का प्रश्न पैदा हो गया है सिर्फ भारतवासियों के लिए ही नहीं। जाहिर है, इस अभूतपूर्व स्थिति का भारत को भी डटकर मुकाबला करना ही होगा। इस लिहाज से किसी भी प्रकार की काहिली या लापरवाही पूरे देश के लिए बेहद खरतनाक सिद्ध हो सकती है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता कर्फ्यू के आह्वान पर रविवार को पूरे देश में रखे गए जनता कर्फ्यू के टेस्ट में देश उतीर्ण हुआ है। मैंने बड़े बड़े नेताओं को देखा। जे० पी० आन्दोलन में भी सक्रिय रहा I पर किसी के आह्वान का ऐसा अभूतपूर्व असर तो पहली बार ही देखा I जनता कर्फ्यू के चलते देश भर के लगभग 7 करोड़ व्यापारी और उनके 40 करोड़ कर्मचारी घरों पर ही रहे। इस दौरान सारे देश के छोटे–बड़े शहरों की सड़कों पर सन्नाटा छाया रहा। वे ही घरों से निकले जिनके पास कोई विकल्प ही नहीं था या जो सेना, पुलिस, रेलवे, मेडिकल,मीडिया,सुरक्षा सेवा जैसे पेशों से संबंध रखते हैं। यानी भारत ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ने का मन तो बना ही लिया है। अगर इसी संकल्प से इस ल़ड़ाई को लड़ा गया तो विजय भी मिलेगी, कोरोना वायरस पराजित भी होगा। कोरोना वायरस के खतरे के आलोक में आईटी कंपनी के पेशेवरों से लेकर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं। यानी सब अपने को वक्त के साथ बदल रहे हैं, ढाल रहे हैं।‘ यह तो करना ही होगा। अब दूसरा कोई चारा बचा भी तो नहीं है। कोरोना के कारण सारी दुनिया डूबते हुए टाइटैनिक जहाज की तरह हो गई है। इसे तो हर–हाल में बचाना ही होगा।
देश के लिए चुनौतीपूर्ण आने वाले दिन
कोरोना के खिलाफ की लड़ाई को “संयम और संकल्प” से ही जीता जाएगा। बेशक आने वाले कुछ दिन देश के लिए बेहद अहम रहने वाले है। कहना न होगा कि इस दौरान संयम से ही देश एक बड़ी महामारी को परास्त करने में सफल हो जाएगा। पर चिंता की बात तो यह है कोरोना वायरस के खतरों से बेपरवाह सिंगर कनिका कपूर और मुक्केबाज मैरी कॉम जैसे तमाम सेलिब्रिटी कहे जाने वाले लोगों ने दूसरों की जान को संकट में डालने का कम किया है ।