ऑस्ट्रेलिया ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज के तीसरे मुकाबले में भारत को नौ विकेट से हरा दिया। इस जीत के साथ ही उसने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। इंदौर टेस्ट में भारत की हार से ज्यादा होल्कर स्टेडियम की पिच की चर्चा हो रही है। लगातार तीसरा टेस्ट तीन दिन में समाप्त हो गया। इंदौर में तो पहले ही दिन से गेंद टर्न होने लगी थी, इससे क्रिकेट फैंस हैरान रह गए। यहां की पिच की लगातार आलोचना हो रही है।
कप्तान रोहित शर्मा इन आलोचनाओं को ज्यादा तवज्जो नहीं देते। उन्होंने मैच के बाद कहा, ”इस तरह की पिच पर खेलना टीम प्रबंधन का सामूहिक फैसला था। हमें यह पता था कि बल्लेबाजों के लिए यहां कठिनाई होने वाली है, लेकिन चुनौती के लिए तैयार हैं।” अब सवाल यह उठता है कि क्या टीम इंडिया को लगातार होमग्राउंड पर इसी तरह की पिचों पर खेलना चाहिए? क्या ऐसी पिचों पर लगातार खेलने से विदेश में मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा?
सुशील दोशी: पिच की बात करें तो टेस्ट मैच का पिच ऐसा होना चाहिए कि पांचवें दिन परिणाम निकले। चौथे और पाचंवें दिन गेंद घूमने लगे। अभी हमने इंग्लैंड और न्यूजीलैंड का मैच देखा जिसमें पांचवें दिन नतीजा आया। न्यूजीलैंड की टीम एक रन से जीती थी। वह मैच टेस्ट क्रिकेट का सही मैच था। ऐसा ही मैच होना चाहिए। मुकाबले पांच दिन तक चलने चाहिए।
आप घरेलू परिस्थितियों का फायदा तो उठाते हैं। जैसे हम इंग्लैंड जाते हैं तो वहां पर हमें ग्रीन टॉप पिच पर खेलना पड़ता है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया वाले ज्यादा उछाल वाली पिचें बनाते हैं। जब जरूरत से ज्यादा मदद विकेट बनाते हैं तो कई बार खुद ही नुकसान उठाना पड़ता है। इस बार ऐसा ही हुआ। पहले दो टेस्ट में भी स्पिन को मदद करने वाली पिच थी तो भारत ने अच्छी गेंदबाजी से जीत हासिल कर ली, लेकिन इंदौर में ज्यादा टर्न था। पहले ही दिन से गेंद घूमने लगी। यहां फायदा दोनों टीमों को हुआ। ऑस्ट्रेलिया के औसत स्पिनर भी पिच की मदद से इंदौर में चल गए। ऐसे में भारत पराजित हो गया।
सवाल: टेस्ट क्रिकेट के लिए किस तरह की पिच सही होगी?
सुशील दोशी: पिच ऐसी नहीं होनी चाहिए कि पहले दिन से ही गेंद टर्न होने लगे। कम से कम टेस्ट मैच पांच दिन के तो होने चाहिए। टेस्ट क्रिकेट के लिए यह सही उदाहरण नहीं है। इस फॉर्मेट पर ऐसे ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दर्शक स्टेडियम में कम पहुंच रहे। जो फैंस पांच दिन के लिए पैसे देते हैं तो वह निराश हो जाते हैं। इस पिच पर कोई बल्लेबाज शतक भी नहीं लगा सका।
सवाल: मैच के बाद रोहित शर्मा ने कहा कि टीम प्रबंधन ऐसी पिच चाहती है। उनके बयान से लग रहा है कि अहमदाबाद में भी ऐसी ही पिच होगी। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
सुशील दोशी: विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल होना है। भारतीय टीम वहां पहुंचना चाहती है। भारत अगर अहमदबाद में जीत जाता है तो वह फाइनल में पहुंच जाएगा। अभी टीम इंडिया इसलिए रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन को मदद देने वाली पिच बनाना चाहते हैं। इन दोनों गेंदबाजों को अगर पिच से टर्न मिलने लगे तो ये किसी भी बल्लेबाजी आक्रमण को तहस-नहस कर सकते हैं।