बीते सोमवार का दिन भारत के लिए बेहतरीन रहा। जहां बहामास में पेरिस ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करने वाली भारतीय महिला चार गुणा 400 मीटर रिले टीम की सबसे सीनियर खिलाड़ी एमआर पूवम्मा एक उदाहरण बनी हैं। इस दौरान पूवम्मा ने कहा कि दो साल के प्रतिबंध के बाद 34 साल की उम्र में वापसी करना कोई मजाक नहीं है। वह एक उदहारण स्थापित करना चाहती हैं। पूवम्मा ने साबित कर दिया कि अगर शरीर साथ दे तो उम्र मायने नहीं रखती है।
बता दें कि, विश्व एथलेटिक्स रिले की हीट में दूसरे स्थान पर रहते हुए वह पेरिस खेलों में जगह बनाने वाली भारतीय टीम की सबसे सीनियर सदस्य पूवम्मा को 2021 में डोपिंग अपराध के लिए दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। जिसके बाद उन्होंने पिछले साल प्रतियोगिताओं में वापसी की।
पूवम्मा ने आगे कहा कि, मैं ये साबित करना चाहती थी कि मैं अब भी रिले टीम की मुख्य सदस्य हूं और मैं अब भी ऐसा कर सकती हूं। यहां तक कि उम्र भी मायने नहीं रखती। मैं एक उदाहरण स्थापित करना चाहती थी। इस स्तर पर मेरी वापसी बहुत संतोषजनक रही और मैं बहुत खुश हूं। उन्होंने साथ ही कहा कि मैंने सब कुछ हासिल कर लिया है, मेरे पास एशियाई खेलों के मेडल हैं, मैच चार बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुकी हूं और मैं दो बार ओलंपिक में खेली हूं। प्रतिबंध के कारण मैं टोक्यो ओलंपिक में नहीं जा सकी। ये मेरे हाथ से फिसल गया था।
वहीं पूवम्मा अगले महीने 34 साल की हो जाएंगी, इस पर उन्होंने कहा कि इसलिए मुझे एक और ओलंपिक में भाग लेना होगा और अगर मेरा शरीर साथ दे रहा है तो मुझे खेल क्यों छोड़ना चाहिए। कुछ विदेशी एथलीट 35 या 37 साल की उम्र तक दौड़ते हैं। इसलिए मैं अन्य एथलीटों के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहती थी कि उम्र मायने नहीं रखती। इसलिए मैंने ऐसा किया।