“कोरोना वायरस” अति विषाक्त व खतरनाक वायरस है..स्वामी कमलेश्वरानंद

 कोरोना पूरी मनुष्य जाति को पूर्णतः समाप्त कर सकता है, ये बहुत ही तेज फैलने वाला वायरस है पर “स्वच्छता में स्वस्थता” निहित है | यदि व्यक्ति “स्वच्छता” को अपनाये तो ये स्वयं ही समाप्त हो जाने वाला वायरस है ! “साफ-सफाई” और “खान-पान” पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है | इसमें आप ठंडी चीजो का सेवन बिलकुल भी ना करें तथा अपने शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखने के लिए संतुलित आहार-विहार लेते रहें और योग करते रहें । मनुष्य की अतिशयता व् राक्षसी प्रवृत्ति के कारण इस वायरस का जन्म है, यदि हम ना सम्हलें तो नाना प्रकार के आपदाओं से हमे जूझना पड़ेगा | मनुष्य जब-जब भी धृष्ट हुआ है और आततायी कार्यों में संलग्न हुआ है तब–तब किसी ना किसी खतरे को जन्म दिया है, “कोरोना वायरस” मनुष्य द्वारा अति धृष्ट कार्यों का परिणाम है, प्रकृति विरुद्ध कृत्य है, अभी भी समय है, रुको..!चिंतन करो..! प्रकृति से छेड़छाड़ समुचित नहीं, अपनी बुरी आदतों को छोडो |  प्रातः सूर्योदय के पूर्व उठना, स्व-कर दर्शन करना, “गुरु-गोविन्द” से प्रार्थना करना, पृथ्वी पर पैर रखने के पूर्व उन्हें प्रणाम करना, 2 से 3 गिलास गर्म जल पीकर शौच आदि जाना, स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर गुरु गोविंद की पूजा-पाठ, आराधना करना, गुरु प्रदत्त मंत्र का जप करना, माला को गले में धारण कर खड़े हो सस्वर आरती करना, ऐसा नित्य करना, विवेक और सद्मार्ग से पूर्ण जीवन जीना है |

ये जो आकस्मिक आपदा आई है, इससे बचने के लिए एकांत में रहना, “गुरु गोविन्द” से इस बुरे समय से निकलने के लिये “प्रार्थना” करना, घर को भी “स्वच्छ” रखना और नित्य “यज्ञ- हवन” की प्रक्रिया अपनाना, क्योंकि यज्ञ से दूषित वातावरण शुद्ध होगा और सर्वप्रथम खाली पेट “तुलसी-आदरक-काली-मिर्च-लौंग-तेजपत्ता-बड़ी इलायची” सब कूटकर इनको पानी में उबाल लेना | उबलते समय अपने नाक और मुंह से भाप को अन्दर खींचना और जब पानी थोडा रह जाए तो छानकर इस काढ़े को चाय की जगह फूँक फूँक कर पीना | ऐसा नित्य करना, “कोरोना वायरस” से ग्रस्त व्यक्ति और स्वस्थ व्यक्ति भी यदि इस काढ़े का उपयोग करे तो निश्चित ही लाभ होगा | सामान्य उपचार से भी इस बीमारी को समाप्त किया जा सकता है, “आहार-विहार” के संतुलन की आवश्यकता है | “गायत्री-मन्त्र” से “यज्ञ” करें और यज्ञ से प्राप्त उर्जा शरीर में लगने दें अर्थात यज्ञ बेदी के पास बैठ हवन आहुति दे तो निश्चित ही लाभ होगा |
“ईश्वर” आपसे खफा नही हैं पर आपके आचरण से, आपके स्वभाव से, आपके निम्न न्यून विचारों से और आपकी अति धृष्टतापूर्ण कृत्यों से परेशान जरुर है, जिसके परिणामस्वरूप आज हम ऐसी परिस्थिति से जूझ रहे हैं, अभी भी समय है ध्यान रहे “आप मनुष्य है और मनुष्य ही रहें, राक्षस बन भक्षक ना बने” अन्यथा आपके ऐसे कृत्यों से, ऐसे नाना प्रकार की आपदाएं आती रहेंगी, कोरोना और इससे भयावह वायरस भी जन्म लेते रहेंगे, जिसके आगे मनुष्य विवश होगा, जिससे मनुष्य को अपनी शक्ति बहुत छोटी लगेगी, मेरी बात पर गौर करना, सजग हो इस आपदा का सामना करना | संकल्पित रहना, संयमित रहना और पवित्रता, दिव्यता का जीवन जीना और कम से कम अब तो षड़यंत्र जैसे कृत्यों को छोड़ देना……. कोरोना वायरस के लक्षण-                         1-गले का रुधना, खराश
2-सर्दी, नाक से पानी बहते रहना
3-मांसपेशियों में दर्द, थकान
4-बुखार, सिरदर्द, सूखी खासी, दस्त आदि। मौसम अनुसार ये स्वाभाविक सामान्य लक्षण है, यह आवश्यक नहीं कि इन सामान्य लक्षणों से आप कोरोना संक्रमित हों ही पर आप इस बात का ध्यान रखें कि ऐसे सामान्य लक्षणों से आप बिना लापरवाही बरते डॉक्टर के पास जाकर अच्छी दावा लें और वो जैसा कहे उसका अनुपालन करें…
सुरक्षित रहने के चार मुख्य उपाय :-
1- दैनिक प्रक्रियायें……
– घर से बाहर कदापि न निकलें ।
घर में कहीं भी आर्द्रता (नमी) न रहने दें ।
– कपड़ों को तेज धुप में सुखाएं।
– कुछ भी खाने-पिने के पूर्व अपने हाथों को साबुन से मल-मल कर धोएं, अल्कोहोलयुक्त सेनेटाईजर से अपने हाथ को सुरक्षित रखें।
– जब भी खांसे या छीकें पेपर / नैपकिन का प्रयोग अवश्य करें।
– अपने मोबाइल को यथासंभव साफ़ रखें तथा मोबाईल को कान या मुंह के करीब कम से कम रखें।
– दिन में भरपूर छक के भोजन करे, कृपया ऐसी स्थिति में भूखें न रहें। भोजन ताजा व् गरम लें।
– कच्चे सलाद जैसे मूली गाजर टमाटर इत्यादि ना खाएं 2- आयुर्वेदिक प्रक्रियाएं…….- “दिव्य ऋषि फार्मेसी प्राइवेट लिमिटेड” द्वारा प्रभावक “अमृत क्वाथ” औषधि को प्राप्त कर खाली पेट चाय की तरह पियें तो निश्चित ही रोग प्रतिकारक क्षमता बढ़ जाती है, जो कोरोना जैसे बिमारियों से रक्षा करता है।
– तुलसी, अदरक, काली मिर्च, लौंग, तेज पत्ता और बड़ी इलायची सब कूट पीसकर पानी में उबाल लें
उबलते हुए इसके भाप को अपने नाक और मुंह से गहरी श्वांस से अपने अन्दर लेते रहें और अंततः जब खूब उबल जाये तो छान कर गरम-गरम, फूँक-फूँक कर इसे दिन रात में दो-तीन बार ले सकते हैं।
3- यौगिक प्रक्रियाएं:…….- गरम पानी से स्नानादि करने के पश्चात् अपने साधना कक्ष में उनी आसन पर बैठकर प्राणायाम की पूर्ण प्रक्रिया पूरक, रेचक, कुम्भक, भस्रिका और अंततः आँख बंद कर नाभि ध्यान करें अवश्य ही ऐसे अनन्य वायरस से सुरक्षित रहेंगे।-“पूरक व् रेचक”- श्वांस अन्दर खींचने की क्रिया को पूरक और बाहर छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं, दायीं नासा छिद्र को अंगुष्ठ से दबाकर, बायीं नासा छिद्र से तीव्र श्वांस भीतर भरें और तीव्रता से बाहर छोड़ दें। -फिर बायीं नासा छिद्र को मध्यमा व् तर्जनी अन्गुली से दबाकर तीव्रता से दायीं नासा छिद्र से श्वांस भीतर लें और बाहर छोड़ दें।-अब आप बायीं नासा छिद्र से श्वास भीतर ले और दायीं नासा छिद्र से श्वांस बाहर छोड़ दें।-अब आप दायीं नासा छिद्र से श्वास भीतर ले और बायीं नासा छिद्र से श्वांस बाहर छोड़ दें।
-अब आप दोनों नासा छिद्र से श्वांस भीतर लें और तीव्रता से बाहर छोड़ दें।”कुम्भक”- श्वांस खींचकर भीतर रोक लेने की प्रक्रिया को कुम्भक कहते हैं, अब आप तीव्रता से दोनों नासाछिद्रों से श्वांस भीतर खींचकर यथासंभव भीतर रोके रखें।”भस्रिका”- लोहार की धौंकनी की तरह तीव्रता से श्वांस भीतर लेने और बाहर छोड़ने की प्रक्रिया को भस्रिका कहते है, अब आप पांच मिनट अति तीव्रता से दोनों नासाछिद्रों से श्वांस भीतर लें और बाहर छोड़ें, फिर भीतर लें और बाहर छोड़ें, फिर भीतर लेते रहें, बाहर छोड़ते रहें। ऐसा पांच मिनट तक बिना थके करते रहें।”ध्यान”- स्वतः आँखें बंद कर स्वयं में अतल गहराईयों में उतर, असीमित प्राण उर्जा आत्म ज्योति असीम आनंद में खो जाना ध्यान है, अब आप पांच मिनट तक अतिशांत भाव से आँखे बंद कर स्वयं में खोते जाना।आँख बंद कर “नाभि-ध्यान” करते हुए “ॐ” का सस्वर दीर्घ नांद 21 बार करें, “नांद-ब्रम्ह” की इस साधना से आप निश्चित ही कोरोना जैसे वायरस से सुरक्षित रहेंगे।

Related posts

Leave a Comment