कोरोना काल में कठिन राह मगर सजगता से डगर आसान

दिनेश तिवारी
आज से 6 माह पहले हर इंसान की हँसती खेलती जिंदगी में अचानक से एक नाम टेलीविजन के माध्यम से न्यूज चैनलों में कोरोना- कोरोना- कोरोना चलने लगा।टीआरपी बढ़ाने के लिए सभी चैनलों से आज भी प्रतिस्पर्धा से पीछे नहीं है। इंसान बड़ी उत्सुकता से देश दुनिया में फैल रहे इस कोरोना का हाल प्रतिदिन सोशल मीडिया और टेलीविजन से देखने लगे अपनी अपनी राय, तर्क,कुतर्क विचार की धारा पर डिबेट की बह निकली।जैसे-जैसे यह कोरोना वायरस चांईना से अमेरिका, जापान,जर्मनी,इंग्लैंड आदि कई देशों से अपने देश में दस्तक दिया। भारत के प्रधानमंत्री मा0 नरेंद्र मोदी जी ने पहली बार 4 मार्च ट्वीट कर सार्वजनिक कार्यक्रमों में बचने का संदेश दिया तो विपक्षी दलों को लगा यह जुमला है और फिर हम अपने बुद्धिजीवी होने का परिचय देते हुए मूर्खता की हद पार करते रहें जो बहुत चुपचाप मानव के शरीर से होकर दूसरे मानव के शरीर में विभिन्न तरीके से अपने देश में पैठ बना रहा था और हम होली पर एक दूसरे को रंग लगा रहे थे पर यह कहने से तनिक भी गुरेज नहीं करते थे कि कोरोना हमारा क्या बिगाड़ेगा।हल्ला मचा कि तबलीगी जमातियों ने एक योजनाबद्ध तरीके से कोरोना वायरस भारत में विभिन्न राज्यों में जाकर भोली भाली जनता फैलाने का कार्य किया जिसमें विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तक हिस्सा बनें।मुख्य मुखिया अपराधी आज भी पुलिस की जाल से बाहर है जो देश के सिस्टम को गाली दे रहा है।चीन की कारस्तानी को कई देशों ने निंदा ही नहीं कठोर कार्यवाही करने हल्ला किया मगर चीन तो सबसे आगे युद्ध के लिए ताने बाने बुनने लगा,भारत को 20 सैनिकों के सरहद में जान गवाने पड़े।
22 मार्च से लॉकडाउन का दौर चालू हुआ रेलवे के इतिहास में पहली बार संचालन पूरी तरह से बंद हुआ। शुरू में तो हम सब काफी डरे लेकिन समझदारी दिखाने वालों को कुछ तथा कथित लोगों ने बेवकूफ और डरपोक की संज्ञा दे डाली धीरे-धीरे आत्मग्लानि से जूझता हुआ वह समझदार समाज में बेवकूफ और डरपोक हो चुका था वह भी प्रशासन के नियमों की धज्जियां उड़ाता हुआ कोरोना का स्वागत करने निकल पड़ा।सामाजिक लोगों ने सहभागिता का प्रतिस्पर्धा बनाकर मदद का द्वार का लंगर चला दिया।क्योंकि सरकार ने भी नहीं सोचा कि वैश्विक कोरोना महामारी का स्वरूप क्या होगा कैसे निपटें तो प्रतिदिन नए नए फरमान जारी होने लगे।अचानक सरकार भी तैयार नहीं थे।सरकार की खाद्य वितरण आदि योजनाओं की पोल खुलने लगे चारों तरफ राशन के लिए हाहाकार की शोर उठने लगे।राज्य सरकारों ने तेजी के साथ कदम बढ़ाएं।श्रमिकों के काम बंद हो गए तो संगठित और असंगठित मजदूरों को एक एक हजार रुपए आर्थिक सहायता दिए जाने लगे,महिलाओं को गैस सिलेंडर में गैस भराने के लिए केंद्र सरकार ने पांच पांच सौ रुपए तीन महीने तक खातों में सीधे भेजने का दौर शुरू हुआ।हर पल हर दिन जैसे-जैसे पल बीत रहा था प्रशासन सरकार की योजनाओं से कमाई करने में और सरकार अपनी दुनिया में मस्त वोट बैंक को सेकने की फिराक में लगा हुआ था जहां हर शहर में कईयों के घरों के दिए बुझ रहे थे वहां देश में दिये जलाकर थाली बजाकर कोरोना भगाने की निरर्थक कोशिश की जा रही थी जहां कई घरों में लोग बेरोजगार हो जाने के कारण देश के नौनिहाल बिना खाए भूखे सो रहे थे।अचानक टिड्डियों के अटैक पर बर्तन बजवा कर पार्टी का वोट बैंक का आंकड़ा तैयार हो रहा था लेकिन यह सब गुलाम हो चुकी मानसिकता, धार्मिक अंधापन को प्रदर्शित करता हुआ हर पल कोरोना को अपनी ओर करीब करता जा रहा था।
धीरे धीरे विदेशों से अपने देश में फिर अपने राज्य में और अपने शहर और गांव में कोरोना पूरी तरीके से पैर पसार चुका था और साथ ही शुरू हो चुका था दौर समाज सेवा, मानवता का फायदा उठाकर राजकोष को मजबूत करने का खेल हर इंसान को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें क्या न करें।सामर्थ्य अनुसार 50 रुपए से लेकर कई हजार करोड़ तक की राशि राष्ट्रीय आपदा कोष में पहुंच चुकी थी परंतु दूसरी ओर टेलीविजन पर भूख से मरते हुए सड़कों पर कई किलोमीटर पैदल चल जान गवाते हुए इंसान देखे जा रहे थे घर में बैठकर अंदर ही अंदर अन्तर्मन की स्थिति इतनी कमजोर होती जा रही थी। सरकारी योजनाओं तरीकों एवं व्यवस्थाओं पर उंगली उठना प्रारंभ हो गई थी परंतु यह उंगली कमरे के बंद दीवार तक ही सीमित थी इसके पीछे कारण जो कोरोना की आड़ में कहीं ना कहीं स्वच्छंदता की आजादी को विलुप्त करते हुए या यह कहें कि सिर्फ किसी एक विशेष पार्टी समुदाय या व्यक्ति की जय जयकार करना है अब राष्ट्रधर्म हो गया था देश हित में बात करने वाला राष्ट्रद्रोही घोषित कर दिया गया था। पुलिस की लाठियां जेल की सलाखें उसका इंतजार कर रही थी कोरोना का भयावह माहौल देश के गली मोहल्लों तक धार्मिक बेड़ियों के माध्यम से जकड़ता जा रहा था । वहीं दूसरी ओर सामाजिक कार्यकर्ता अपनी पूर्ण निष्ठा के साथ जरूरतमंदों की सेवा करने में लगे थे,मीडिया हमेशा की तरह लोगों के डर का फायदा उठाते हुए खौफ उत्पन्न करके अपनी टीआरपी बढ़ाने में मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ बीत रहा था हर शाम दिन भर की लिस्ट का इंतजार जो पहले देश और विदेश की देखते थे इन दिनों हर दिन अपने शहर की हर मोहल्ले की गलियां उस लिस्ट में दिखाई दे रही थी पिछले कुछ दिनों से तो उस लिस्ट में कोई ना कोई अपना भी हो रहा था परंतु उम्मीद नहीं थी कि जल्दी सही हो कर वापस आ जाते थे सभी लेकिन एक दिन ऐसा हादसा जिसने कोरोना का वीभत्स रूप का सजीव वर्णन मेरे चक्षुओं के समक्ष लाकर रख दिया।
एक सामाजिक कार्यकर्ता जो रात दिन लॉकडाउन के दौरान आलू प्याज तेल से लेकर आटा चावल फल पानी तक वितरण कर रहे थे अचानक तबियत खराब हुई तो अस्पताल में भर्ती हुए तो मालूम चला कि शरीर में कोरोना प्रवेश कर नहीं गया पैठ बना लिया जनपद और आसपास के मोहल्लों में हाहाकार मच गया। एम्बुलेंस दौड़ने लगी पुलिस मार्ग को सील करने लगा,गांव में भी फैलना शुरू हो गया,एक दिन अपने पिता क्रियाकर्म में मुम्बई से गांव पहुँच गए बाल बनवाने के दिन नात रिश्तेदार साथ ही पूरा गांव सम्मिलित हुआ अगले दिन मालूम हुआ कि मुम्बई से आए दोनों युवकों को कोरोना हो गया मच गया चारों तरफ हाहाकार शोरगुल के बीच एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ी गांव वालों का धड़पकड़ होने लगा सभी को लेकर शहर के गेस्ट हाउस में कैद कर दिया गया,कोविंड का जांच केंद्र खुल गए जांच होने लगे।डॉक्टर और प्रशासनिक अधिकारियों का भागदौड़ बढ़ गयी इसी बीच खबर आई कि शहर के समाजसेवी प्रयागराज में पहली कोरोना मरीज की मृत्यु हो गयी।कोई भी पास फटने को तैयार नहीं था कोरोना से प्रभावित परिवार नात रिश्तेदारों का धड़पकड़ की कार्यवाही शुरू हो गयी।उधर दाहसंस्कार के निर्धारित जगह के आसपास के लोग सड़कों पर उतर आए प्रशासन को भी पसीने छूट गए अंत गंगा के एक किनारे सुनसान में ले जाकर दाहसंस्कार बड़ी मुश्किलों से कड़े सुरक्षा व्यवस्था के बीच कर पाए। गांव में कोरोना का तीन किलोमीटर तक क्षेत्र सील कर दिया गया। कोरोना गांव और शहर के मोहल्लों में सैनीटाइजर से छिड़काव होने लगे लगे।लोगों का प्रवेश करना और निकलना बंद हो गया।हर गांव,शहर के मोहल्लों से आवाज आने लगी कि मेरे यहाँ छिड़काव हो जाए।सरकार ने बड़ी चपलता से सहायता के द्वार खोल दिए थे।जिधर कोरोना मिलता उधर शोर मच जाता। कोरोना से लड़ने के लिए सरकार पहले तैयार नहीं थी, मगर धीरे धीरे मास्क सैनीटाइजर पीपीई किट आदि के उद्योग धंधों का दौर तेजी बढ़ चला बाकी व्यापार लगभग बंद हो गए।लगातार लॉक डाउन से लोगों के घरों में मध्यम वर्गीय परिवारों में राशन और जरूरी वस्तुओं खत्म होने लगा तो सब प्रार्थना करने लगे कितने जल्दी लॉक डाउन खत्म हो तो अपना घर भर सकें।अब तक सरकार भी कोरोना से लड़ने और जनता के जीवन को बचाने के लिए तैयार हो चुकी थी। बंदिशों के बीच अनलॉक डाउन की बढ़ने लगे लोग बाजारों में टूट पड़ रहे थे क्योंकि समय की मार के साथ पुलिस द्वारा चालान का खौफ व्याप्त था।पहले एक दो तीन अब लगभग 496 कोरोना के मरीज मिल चुके। अनलॉक 4 आते आते लोगों के अंदर एक दूसरे को संक्रमित होते होते आगे बढ़ने लगा मगर जो डर और दहशत लॉक डाउन के पहले और दूसरे तीसरे चरण में व्याप्त थे,अब डर और दहशत लोगों के मन में नहीं रह गए सिर्फ पुलिस को देखकर मास्क पहनने को आदि हो रहे है।इसी बीच शहर के नामी डॉक्टर,अधिवक्ता,व्यापारी और समाजसेवी चल बसें,मंत्री सांसद विधायक पत्रकार के साथ पुलिस ब्यूरोक्रेट्स भी संक्रमित हो रहे और ठीक हो रहे है लेकिन जिन परिवारों के सदस्य कोरोना के मरीज पकड़े जा रहे है वही दहशत और भय में है अगल बगल तथा बाजारों में लोगों को जैसे याद ही न हो कि अभी कोरोना ने अपनी पकड़ कमजोर नहीं मजबूती के साथ लगातार बढ़ घट रहा है। एक दिन गांव की तरह गया देखा कि सब कुछ बदल गया हो लोग आपस में उसी तरह मिल जुल रहे जैसे पहले मिला करते थे कोरोना के शुरुआत में गांव की ओर जाने का मौका लगा तो देखा था कि सड़के दिन एकदम सुनसान और वीरान दिख रहे थे। सरकार एवं डॉक्टरों द्वारा लगातार लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिग के साथ सैनिटाइजर हाथों में लगाने की अपील की जा रही मगर लोग ऐसे है जैसे कोरोना कुछ बिगाड़ नहीं सकता टैम्पों, बसों,ई रिक्शा में खुलेआम धज्जियां उड़ रही है।जबकि लॉक डाउन के उल्लंघन में भोलीभाली जनता पर मुकदमें दर्ज हुए।बिना अपराध के अपराधी हो गए।
कोरोना का वास्तविक डरावना स्वरूप उस दिन देखने को मिलता है जब मैं उस घर पहुंचता हूँ 200 मीटर की दूरी पर खड़ा इतना लाचार बेबस और मजबूर हूँ कि परिवार जनों को कंधे पर हाथ रख कर सांत्वना भी नहीं दे सकता मेरी छोड़िए उस घर में उस मरीज के दोनों बच्चे कोरोना पोसिटिव हो गए हैं उनकी मां भी कोरोना पोसिटिव है,भाभी भी कोरोना पोसिटिव है। स्थिति इतनी हृदय विदारक है कि घर के सदस्य एक दूसरे के दुख में उन्हें छू कर सांत्वना भी नहीं दे सकते,मां बच्चे को गले भी नहीं लगा पा रही, रिश्तेदार परिवार जन एक दूसरे से बात नहीं कर सकते,पार्थिव शरीर के देखने भी नहीं दिया जा रहा,क्या है यह करोना जिसने हंसते खेलते परिवार को बर्बाद कर दिया।लेकिन क्या सिर्फ कोरोना ने चौपट किया सरकार बराबर सचेत करती रही हम मानने को तैयार नहीं है।देश में पिछले दिनों एक दिन में 96,424 संक्रमित हुए है। लगभग देश में 55 लाख लोग संक्रमित हो चुके है और लगभग 88 हजार से ऊपर काल के मुंह में समा चुके है सिर्फ सुखद खबर है कि लगभग 80.12 प्रतिशत रिकवरी है।कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच देश तेजी से अनलॉक मोड में जा रहा है। फिलहाल अनलॉक-4 चल रहा है।जिसके तहत तमाम तरह की गतिविधियों की छूट दे दी गई है।अनलॉक-4 भी कई चरणों का रहा है। एक सितंबर से लागू हुए अनलॉक-4 में 7 सितंबर से जहां मेट्रो सेवा शुरू होने की छूट मिली थी तो वहीं अब कुछ और रियायतें मिलने जा रही हैं।देश के कुछ राज्यों में 21 सितंबर से स्कूल-कॉलेज खुलने जा रहे हैं तो वहीं 20 जोड़ी क्लोन ट्रेनें भी रेल यात्रियों की सुविधा के लिए पटरियों पर दौड़ना शुरू हो गयी है। इसी के साथ ही सबसे बड़ी राहत उन लोगों को मिलने वाली है जिसके यहां कोई कार्यक्रम आयोजित होने वाला होगा क्योंकि आज से तमाम तरह के कार्यक्रमों में लोगों के शामिल होने की सीमा बढ़ाकर 100 कर दी गई है। अब इन कार्यक्रमों में भाग ले सकेंगे।अभी तक यह अनुमति महज पहले 20 फिर 50 लोगों की थी अब 100 हो गयी है।जिस वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा था उनकी राह आसान की ओर बढेगा। आगरा का किला और ताजमहल सोमवार से पर्यटकों के लिए फिर से खुल जाएंगे। हालांकि एंट्री के दौरान पर्यटकों को मास्क के साथ सोशल डिस्टेंसिंग सहित अन्य नियमों का पालन करना होगा। बता दें कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने ताजमहल को 17 मार्च से बंद कर दिया था। अब 21 सितंबर से ताजमहल को खोलने का निर्णय लिया गया है। यानी कुल 188 दिन बाद ताजमहल फिर से खोला गया है।यूपी में स्कूल कालेज नहीं खुले है सरकार भी मानती है कि हालात अभी सही नहीं हुए है।समाज आगे बढ़कर मास्क सैनीटाइजर और सामाजिक दूरी के साथ चलना होगा तभी सब मिलकर कोरोना महामारी को परास्त कर नया आवाम स्थापित कर नए प्रदेश नए भारत की स्थापना में योगदान होगा। लोगों की सजगता ही कोरोना को परास्त कर सकता है।अभी भी सब समाज कमर कस लेगा तो कई जिंदगी बच सकती है। शासन प्रशासन को भी जनता के साथ मधुरता के साथ व्यवहार करना चाहिए जिससे सरकार द्वारा सराहनीय प्रयास की सराहना होने पर मिसाल बन सकता है एक छोटी सी गलती सारे अच्छे कार्यों एवं प्रयास किए कदम बेदम हो जाते है।वैश्विक कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था और समाज की परिदृश्य को बदल दिया है।कृषि प्रदेश के वजह से मजबूती के साथ अन्य प्रदेशों से जनाकांक्षाओं को दिशा देने में आगे खड़ा है।

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