कोयले का इस्तेमाल पड़ रहा भारी, 2022 में रिकॉर्ड कार्बन उत्सर्जन, दुनियाभर में बढ़ी ऊर्जा खपत

अमेरिका से लेकर चीन तक और ब्रिटेन से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक हर कोई अपनी ऊर्जा की भूख मिटाने के लिए कोयले का इस्तेमाल कर रहा है। यह न केवल मौजूदा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी भारी पड़ रहा है। 2022 में रिकॉर्ड 36.8 गीगाटन कार्बन उत्सर्जन हुआ। साल 1900 से कार्बन उत्सर्जन का रिकॉर्ड रखना शुरू किया गया, तब से आज तक की यह सबसे बड़ी वृद्धि है।

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट जारी कर बताया कि उत्सर्जन में रिकॉर्ड वृद्धि के पीछे वजह वैश्विक ऊर्जा उत्पादन में 0.9 फीसदी की बढ़ोतरी है। आईईए के मुताबिक, ऊर्जा उत्पादन के लिए दुनियाभर में कोयले का इस्तेमाल बढ़ा है। आईईए ने रिपोर्ट में बताया कि यह एक दुष्चक्र सा बन गया है। साल 2022 में चरम मौसमी घटनाओं की वजह से कई जगह सूखा पड़ा और जलविद्युत परियोजनाओं से ऊर्जा उत्पादन में कमी आई। इस कमी और मांग में आई तेजी की पूर्ति के लिए जैव ईंधन और कोयले का इस्तेमाल करना पड़ा।

बढ़ोतरी आपदाकारी : स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पृथ्वी विज्ञान प्रणाली के प्रोफेसर रॉब जैक्सन कहते हैं, उत्सर्जन का बढ़ना बेहद चिंताजनक है। इसका स्थिर गति से भी बना रहना भी स्वीकार्य नहीं है, बढ़ोतरी तो आपदाकारी बात है। मानव जीवन और पृथ्वी को बचाने के लिए इसे हर साल घटाना होगा, लेकिन दुर्भाग्य से सच इसके विपरीत सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोयले की वजह से कार्बन उत्सर्जन में एक वर्ष में 1.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर हवाई यातायात बढ़ने से एटीएफ का दहन बढ़ा है, जिसके नतीजतन कार्बन उत्सर्जन में 2.5 फीसदी की वृद्धि हुई है।

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