झांसी। देश में कृषि और किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून क्रांतिकारी परिवर्तन वाले साबित होगे। आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में इस तरह का बदलाव देखने को नहीं मिला हालांकि कुछ राज्यों के किसानों में इस बात को लेकर भ्रम है कि इस कानून से उनकी कृषि पर गलत प्रभाव पड़ेगा । लेकिन यथार्थ में ऐसा नहीं है न तो सरकारी मंडियां खत्म होंगी और न ही किसानों की जमीन किसी कारपोरेट के हवाले होगी । यह बात रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के कुलपति डॉ अरविंद कुमार ने विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच कही ।उन्होंने कहा कि नए कानूनों को विधिवत पढ़ने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि इससे किसानों की आय दोगुनी होगी ही और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
उन्होंने कहा कुछ किसानों और किसान संगठनों के बीच यह मिथक कायम है कि सुधार कानूनों से किसानों के हित पर चोट पहुंचेगी । मगर ऐसा बिल्कुल नहीं है । यह भी सच है कि किसानों की खेती किसी कारपोरेट के हवाले नहीं होगी। किसानों की इच्छा के विपरीत कोई भी उनकी खेती-बाड़ी को छू भी नहीं पाएगा। विवादों के निपटारे के लिए स्थानीय स्तर पर ही व्यवस्था की गई है। नए कानून से किसान सर्वश्रेष्ठ मूल्य देने वाले खरीदार को मंडियों के बाहर उपज बेच सकते हैं । उसके लिए उन्हें न तो पंजीकरण की जरूरत होगीऔर न ही किसी भी तरह के शुल्क देने की जरूरत होगी । मंडी व्यवस्था पहले की तरह ही यथावत जारी रहेगी। किसानों को सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य( एमएसपी )का लाभ मिलता रहेगा। कुलपति ने कहा कि 2009 -10 से 2013 -14 की तुलना में पिछले 5 वर्षों के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य भुगतान में वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर धान के लिए करीब ढाई गुना और दालों के लिए 75 गुना मूल्य का भुगतान सरकार की तरफ से किसानों को किया गया।
उन्होंने बताया कि नए कानून दो दशकों के विचार विमर्श के बाद आकार ले सके। सन 2000 में शंकरलाल गुरु कमेटी से इसकी शुरुआत हुई थी । उसके बाद 2003 में मॉडल एपीएमसी एक्ट, 2007 के एपीएमसी कानून, 2010 में हरियाणा,ल पंजाब , बिहार एवं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की समिति व 2013 में 10 राज्यों के कृषि मंत्रियों की संस्तुति तथा 2017 का मॉडल ए पी एल एम एक्ट और आखिरकार 2020 में संसद द्वारा इन कानूनों को मंजूरी मिली ।
डॉ कुमार ने बताया कि नए कानून से किसानों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और लाभ ज्यादा मिलेगा। ग्रामीण कृषक युवाओं को व्यापार श्रृंखला चलाने का अवसर मिलेगा। बिचौलियों के बीच हाथ जाने वाली धनराशि पर अंकुश लगेगा । इसका फायदा किसानों को सीधे मिलेगा। किसानों के पास तमाम तरह के विकल्प होंगे। उन्होंने किसानों से अपील की वे नए कानून अपनाने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट न दिखाएं इससे उनको तात्कालिक एवं दूरगामी लाभ मिलेगा।