काशी तमिल संगमम ट्रेन के प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन पहुंचने पर हुआ आत्मीय स्वागत

प्रयागराज ।
   उत्तर एवं दक्षिण भारतीय संस्कृति को सहेजे हुए गाड़ी संख्या 22536 बनारस-रामेश्वरम (काशी–तमिल संगमम) ट्रेन के दिनांक 04.12.2022 (रविवार ) को प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन पर रात्रि  10.20 बजे पहुंचने पर रेल प्रशासन की ओर से स्टेशन प्रबंधक  वी.के. द्विवेदी ,  मुख्य टिकट निरीक्षक श्री  दिवाकर शुक्ला, उप मुख्य टिकट परीक्षक   अभिनन्दन  मिश्र , चन्दन मिश्र  सहित  रेलवे सुरक्षा बल स्टॉफ एवं  सुपरवाइजर कर्मियों द्वारा गाड़ी से आये प्रतिनिधियों का जोरदार स्वागत किया गया। स्वागत से अभिभूत सभी प्रतिनिधि खुश नजर आ रहे थे। प्रतिनिधियों ने इस यात्रा में  रेल प्रशासन और रेल कर्मियों द्वारा किये जा रहे कार्य की सराहना करते हुए धन्यवाद दिया |
  ज्ञात हो कि काशी-तमिल संगमम 2022 ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के हिस्से के रूप में भारत सरकार की एक पहल है। यह ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ की भावना का उत्सव है और तमिल भाषा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का भी उत्सव मनाया जा रहा है।काशी- तमिल संगमम कार्यक्रमों की निरंतर श्रंखला में दक्षिण भारत से काशी के लिए  12 ट्रेन सेवाएं चलाई जा रही हैं, जिसमे संगमम के तहत  रामेश्वरम, तिरुचिरापल्ली, कोयम्बटूर, चेन्नई से यात्रीगण अपनी यात्रा शुरू कर रहे हैं | अभी तक 06 जोड़ी ट्रेनों का सञ्चालन हो चूका है |
उल्लेखनीय है कि काशी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान के सदियों पुराने बंधन और प्राचीन सभ्यतागत जुड़ाव को फिर से खोजने के लिए वाराणसी में 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक महीने भर चलने वाला ‘काशी तमिल संगमम‘ कार्यक्रम का आयोजन चल रहा है  । इन ट्रेन सेवाओं में तमिलनाडु के कुल 2592 प्रतिनिधि शामिल होंगे जिसके प्रत्येक रेक में 216 यात्री होंगे तथा इन ट्रेनों को मार्ग में 21 स्टेशनों पर रोका जा रहा है जहाँ पर प्रतिनिधियों का भव्य स्वागत किया जा रहा है |
उक्त यात्रा का उद्देश्य आईआईटी चेन्नई और बीएचयू के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, भारतीय संस्कृति की दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों/विद्वानों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान-सेमिनार, चर्चा आदि दोनों के बीच संबंधों और साझा मूल्यों को सामने लाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। व्यापक उद्देश्य दो ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब लाना, हमारी साझा विरासत को बनाना और समझना और क्षेत्रों के बीच लोगों से लोगों के बंधन को गहरा करना है।

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