सदन की मर्यदा को देखो कैसे जमकर मिटा रहे है, सदन के अन्दर जमकर देखो वो कैसे
हो हल्ला मचा रहे है ,,,,,2
पेपर फेके शोर मचाए
उल्टे सीधे नारे लगाएं
टेबल पर चढ़कर करे हंगामा ,
जमकर करते सारा ड्रामा ,
ये सदन की गरिमा मिटा रहे है,
अपनी घटिया मानशिकता
का परिचय पत्र दिखा रहे है,,,,,,,2
ये विपछ नही ये देश विरोधी हैं
ये बहुत बड़े प्रतिशोधी हैं,
ये सड़क और सदन में ना कोई
अंतर जाने ये सड़क सदन को एक ही माने,
ये सारे सदन की मर्यदा मिटा रहे है,
अपनी औकात दिखा रहे है,,,,,,,2
जनता इन्हें सबक सिखाएगी,
इनको एक दिन आईना दिखाएगी,
ये आज सदन को सड़क बना रहे है ,
कल जनता इन्हें सड़क पर ही लाएगी
जब भारी मतों से इन्हें हराएगी,
आईना इन्हे दिखाएगी,,,,2
ये बड़ा गजब का विपछ हैं
जो देश की गरिमा घटा रहा हैं,
जनमानस का जो मन्दिर हैं
सदन उसको ये सड़क बना रहे है,
ये अपनी औकात दिखा रहा हैं,
जनहितों की बात को छोड़कर ये बे वजह हंगामा मचा रहा हैं,,,,,2
इन्हे ना कुछ करना धरना हैं,
ये बेवजह दे रहे धरना हैं,
ये देश बेचकर खाएंगे
ये सब चोरों की टोली हैं
सदा बोलती एक सी बोली हैं,
ये सदन में करते मारा मारी हैं
इन्हें मॉनसिक बीमारी है,
ये सब देश की गरिमा घटा रहे है,
अपनी औकात दिखा रहा हैं,,,,,2
कवी : रमेश हरीशंकर तिवारी ( रसिक बनारसी )