1300 किलोमीटर कवच कार्य की निविदा प्रक्रिया हो चुकी पूरी*
*उमरे द्वारा भारतीय रेलवे में कवच सुसज्जित वंदे भारत (22469/70 एवं 20171/172) कार सेट का हो चुका है ट्रायल*
प्रयागराज । उत्तर मध्य रेलवे रेल परिचालन को अधिक से अधिक संरक्षायुक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है । इसी क्रम में उत्तर मध्य रेलवे अत्याधुनिक कवच प्रणाली लागू की जा रही है। ज्ञात हो कि, भारतीय रेल में सिगनल प्रणाली को मजबूत बनाने के क्रम में कलर लाइट सिग्नल प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, पैनल इंटरलॉकिंग, आटोमैटिक ब्लाक सिगनल प्रणाली जैसे अपग्रेडेशन के बाद अब अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली से निर्मित कवच प्रणाली पर कार्य किया जा रहा है। फरवरी 2012 में, काकोडकर समिति ने डिजिटल रेडियो आधारित सिग्नलिंग प्रणाली स्थापित करने की अनुशंसा की और भारतीय रेलवे पर इस पर कार्य प्रारम्भ किया गया।
उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य मार्गों पर कवच प्रणाली लागू करने वाले अग्रणी रेलों में से एक है। यह प्रणाली उत्तर मध्य रेलवे के सभी प्रमुख मार्गो पर स्थापित की जा रही है। यह प्रणाली दिल्ली हावड़ा, दिल्ली मुंबई एवं दिल्ली चेन्नई मार्गों पर स्थापित की जा रही है। उत्तर मध्य रेलवे में कुल 2500 किलोमीटर कवच कार्य स्वीकृत है, जिसमें से 1300 किलोमीटर कवच कार्य की निविदा प्रक्रिया पहले ही हो चुकी है और शेष दिसंबर 2024 तक पूरी कर ली जाएगी।
पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान, इसे 262 किलोमीटर से अधिक मार्ग पर स्थापित किया गया है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान इसे अब तक 80 किलोमीटर से अधिक मार्ग पर स्थापित किया जा चुका है और अब तक 342 किलोमीटर रेल मार्ग पर कवच स्थापित हो चुका है । अब तक 115 डब्लू ए पी -7 लोकोमोटिव में कवच इंस्ट्रूमेंट भी लगाए जा चुके है।
इसके पूर्व उत्तर मध्य रेलवे के आगरा मंडल के भूतेश्वर- पलवल सेक्शन में कवच सुसज्जित वंदे भारत (22469/70 एवं 20171/172) कार सेटों का ट्रायल भी किया गया। उत्तर मध्य रेलवे में भूतेश्वर –पलवल 80 रूट किमी का क्षेत्र अब कवच प्रणाली से पूरी तरह सुसज्जित और चालू है। इसके पूर्व सेक्शन में कवच वर्ज़न 3.2 के साइट इंस्टॉलेशन और परीक्षण गतिविधियां पूरी हो चुकी हैं, जिसमें एसटीसीएएस/एलसी टीसीएएस इंस्टॉलेशन, टावर इरेक्शन, आरएफआईडी इंस्टॉलेशन, लोको सिम्युलेटर का उपयोग करके एफएटी और सैट करना आदि शामिल हैं। भूतेश्वर(छोड़कर) – पलवल (छोड़कर) सेक्शन में, 14 स्टेशन कवच, 29 रिमोट इंटरफेस यूनिट (आरआईयू), 14 फील्ड इनपुट एक्सटेंडर यूनिट (एफआईई) स्टेशन, एवं केबिन और ऑटो हट्स/एलएससी में स्थापित किए गए हैं। 40 मीटर के 07 त्रिकोणीय ट्यूबलर संचार टावर बनाए गए हैं और 07 मौजूदा मोबाइल ट्रेन रेडियो क्म्यूनिकेशन टावर का उपयोग स्टेशन से लोको अल्ट्रा हाई फ्रिकेवेंसी संचार नेटवर्क प्रदान करने के लिए किया जाता है। अब इसको नवीनतम निर्देशों के अनुसार कवच वर्ज़न 4.0 के अनुरूप अपग्रेड भी किया जा रहा है।
उत्तर मध्य रेलवे ने प्रयागराज-कानपुर सेक्शन में भी कवच 4.0 सिस्टम की स्थापना का महत्वपूर्ण कार्य कर लिया है। इसमें सभी 4 प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग यानी हिताची, क्योसन, सीमेंस और मेधा को कवच सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग डेटा के निर्बाध हस्तांतरण के लिए प्रोटोकॉल कन्वर्टर्स का उपयोग करके सीधे स्टेशन कवच से जोड़ा गया है। कानपुर से पंडित दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन में टावर और भवन जैसे बुनियादी ढांचे का काम पूरा हो चुका है। वर्तमान में अंतिम तैयारी के लिए प्रयागराज से कानपुर (186 किमी) तक लाइट इंजन लोको ट्रायल किए जा रहे हैं। स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकनकर्ता और उचित तकनीकी मंजूरी के बाद 25 मार्च तक सेक्शन को यात्री यातायात के लिए चालू कर दिया जाएगा।
इसी क्रम में उत्तर मध्य रेलवे के चिपियाना (छोड़कर) – कानपुर (छो
अब तक उत्तर मध्य रेलवे के तीनों मंडलों के 4381 लोको पायलटों/ सहायक लोको पायलटों/ लोको निरीक्षकों को कवच प्रशिक्षण दिया गया है जिसमें हाई स्पीड क्रू को कवर किया गया है। यह संख्या भारतीय रेल में सर्वाधिक है। लोको पायलटों और लोको इंस्पेक्टरों के लिए नियमित क्लासरूम और लैब सिम्युलेटर प्रशिक्षण परियोजना कार्यालय मथुरा में चलाया जा रहा है। कवच लोको ट्रायल के दौरान लोको पायलटों को नियमित काउंसलिंग दी जा रही है। इस संबंध में लोको पायलटों की ट्रेनिंग के लिए CoE/IRISET द्वारा कवच लोको पायलट ऑपरेटिंग मैनुअल जारी किया गया।