मुंबई इंडियंस के स्पिनर कुमार कार्तिकेय सिंह एक समय गाजियाबाद के मसूरी में एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे और सुबह कोचिंग के लिए जाते थे। लेकिन, अपनी मेहनत और कोच संजय भारद्वाज की मदद से उन्होंने क्रिकेट में वो मुकाम हासिल किया जो दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत्र है।
भारद्वाज ने जागरण के साथ बातचीत में कार्तिकेय के संघर्ष की कहानी को साझा किया। पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर और अमित मिश्रा के कोच रहे भारद्वाज ने कहा कि कार्तिकेय 15 साल की उम्र में कानपुर से दिल्ली स्थित क्रिकेट अकादमी में आए। कार्तिकेय जज्बाती थे, इसका कारण यह था कि उन्होंने अभी तक जितना भी क्रिकेट खेला, चुनौती लेकर खेला। जब वह मेरे पास दिल्ली आए तो काफी मेहनत करते थे। कार्तिकेय सुबह साढ़े पांच उठते, फिर फिटनेस और नाश्ता करके साढ़े आठ से साढ़े 11 बजे तक आर्यन तिवारी के साथ मिलकर धूप में बहुत मेहनत करते थे।मैंने उस समय कार्तिकेय से कहा था कि जिस तरह से तुम मेहनत कर रहे हो एक दिन बड़े स्तर पर क्रिकेट खेलोगे। वह मुझसे कहते थे कि जब मैं कानपुर में था और आसमान में हवाई जहाज उड़ते हुए देखता था तो मेरे मन में खयाल आता था कि मुझे इसमें जाना है। लेकिन, लोग तब मुझे पागल कहते थे। कार्तिकेय अकादमी से 80 किमी दूर एक फैक्ट्री में मजदूरी करते थे। रात भर मजदूरी करते फिर सुबह-सुबह कोचिंग के लिए जाते। जब भारद्वाज ने देखा की वह इतना सफर करते हैं तो उन्होंने पूछा कि वह इतनी दूर क्यों रहते हैं। तब कार्तिकेय ने फैक्ट्री की नौकरी के बारे में बताया।भारद्वाज ने कार्तिकेय से कहा कि वह उनके कुक के साथ रह सकते हैं जिसको अकादमी में ही कमरा मिला हुआ था। भारद्वाज ने कहा, जब कार्तिकेय मेरे पास आए तो नीतीश राणा सहित कई सीनियर खिलाड़ी थे, मैं कार्तिकेय को कहता था कि इनके साथ जाया करो। मैंने टीम के कप्तान से कहा कि इस लड़के को खिलाओ। उन्होंने कहा कि कार्तिकेय फील्डिंग अच्छी नहीं करते। इसके बाद कार्तिकेय तीन-चार घंटे तक फील्डिंग करते। उससे इसमें सुधार आया। आज बच्चे चुनौती को स्वीकार नहीं करते और अगर उनकी कोई बुराई करता है तो नाराज हो जाते हैं। लेकिन, कार्तिकेय नाराज नहीं होते थे।