फाल्गुन मास शुरु हो चुका है। भगवान कृष्ण को फाल्गुन माह सबसे प्रिय है। इस माह में कई बड़े त्योहार आते हैं। फाल्गुन महीने में फुलेरा दूज मनाया जाता है। इस साल फुलेरा दूज 1 मार्च से बनाई जा रही है। फुलेरा दूज भगवान कृष्ण और राधा रानी को समर्पित पर्व है। इस दिन पूरे मथुरा और वृंदावन फूलों की होली खेलने की पंरपरा है। ब्रज में बड़े धूमधाम से फुलेरा दूज त्यौहार मनाया जाता है। आइए आपको बताते हैं फुलेरा दूज कब है।
कब है फुलेरा दूज?
पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 01 मार्च को रात्रि 03 बजकर 16 मिनट से हो रही है। इसका समापन अगले दिन यानी के 02 मार्च को रात्रि 12 बजकर 09 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार फुलेरा दूज त्यौहार 01 मार्च को मनाया जाएगा।
फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त
– अमृत काल – सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक
– ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 07 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक
फुलेरा दूज पर होती सबसे ज्यादा शादियां
ज्योतिष के अनुसार, फुलेरा दूज को विवाह का अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। इस खास दिन पर बड़ी संख्या में विवाह होते हैं। फुलेरा दूज वसंत के आगमन का उत्सव है। इसके साथ ही फुलेरा दूज को इसलिए भी विशेष माना जाता है क्योंकि फुलेरा दूज को सर्दी की आखिरी शादी का दिन भी कहा जाता है।
जानें फुलेरा दूज का महत्व
फुलेरा दूज वसंत के आगमन का उत्सव माना जाता है। यह पर्व कृष्ण के भक्तों के लिए बेहद खास होता है। फुलेरा दूज पर ब्रज में एक-दूसरे पर फूलों की होली खेलकर खुशियां मनाते हैं। इस खास दिन पर ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी पर फूल बरसाए जाते हैं और माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है। इस दिन मिठाईयां और प्रसाद भी बांटी जाती है। फुलेरा दूज इसलिए मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने फूलों की होली खेली थी। इस त्यौहार को पूरे ब्रज में धूमधाम से मनाया जाता है और चारों तरफ खुशी का माहौल होता है।