कथाश्रवण से जीवन मे होता है पुण्य का उदय- आचार्य मनीषकृष्ण शास्त्री

लालगंज, प्रतापगढ़। बाबा घुइसरनाथ के समीप डभियार कोट मे हो रही भागवत कथा मे पांचवे दिन गुरूवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमडी दिखी। कथा को आगे बढ़ाते हुए व्यासपीठ से आचार्य मनीष कृष्ण शास्त्री ने कहा कि कलिकाल मे भगवान का नाम जप तथा पवित्र स्मरण ही मनुष्य का जीवन फल है। उन्होने कहा कि हमारे जीवन के सत्कर्म ही मोक्ष का सच्चा मार्ग प्रशस्त किया करते है। उन्होने कहा कि जीवन मे सत्य का मार्ग ही मनुष्य को विपत्तियो के भवसागर से पार लगा सकता है। आचार्य मनीषकृष्ण ने कहा कि भगवान कृष्ण ने कहा कि धर्म का वही पथ मनुष्य को उसके जीवन का समस्त वैभव प्रदान किया करता है जिस पथ मे सुसंस्कार और सुचिता के पुष्प खिला करते है। कथाव्यास ने बताया कि भगवान की कथा का उददेश्य भटकते हुए मनुष्य को उसके जीवन की साधना के प्रति सचेत किया जाना हुआ करता है। कथाश्रवण से न केवल पुण्य का उदय हुआ करता है, बल्कि तन व मन मे व्याप्त सभी प्रकार की मलीनता तथा कुविचार का भी स्वयं समापन हो जाया करता है। उन्होने कहा कि भागवत कथा के मर्म को समझते हुए हमें जीवन मे सत्कर्म करते रहने की सतत प्रेरणा रखनी चाहिए। आचार्य ने श्रद्धालुओं ने गीता के उन उपदेशो को अपने आचरण मे ले आये जाने को लेकर प्रेरित किया। जिसके जरिये आपस मे सहयोग तथा प्रेम की बढोत्तरी तथा हर दृष्टि से मन की पवित्रता बनी रह सके। भागवत कथा ही जीवन जीने की अमृत कथा है। कथा के संयोजक लाल हरिनारायण सिंह ने कथाव्यास का वंदन तिलक किया। सह संयोजक युवा समाजसेवी कुंवर महेन्द्र प्रताप सिंह चंदन ने श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित किया। इस मौके पर पूर्व कृषि वैज्ञानिक गोपालशरण सिंह, रमेश सिंह, हृदय नारायण सिंह, विजय प्रताप सिंह, शिवेन्द्र सिंह, संजय प्रताप सिंह, हरिकेश बहादुर सिंह, बजरंग प्रताप सिंह, आचार्य प्रताप नारायण मिश्र, जीत बहादुर सिंह, कैलाशपति मिश्र, सुजीत तिवारी, फूलचंद्र पाण्डेय, त्रिभुवननाथ तिवारी आदि रहे। 

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