उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ इस समय कंबोडिया के दौरे पर हैं। वे आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अपनी समेत शुक्रवार यानी आज ही कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह पहुंचे। उपराष्ट्रपति कार्यालय ने ट्वीट करके उनके इस दौरे के बारे में जानकारी दी है। यहां पहुंचने पर कंबोडिया के डाक एवं दूरसंचार मंत्री सी. वांदेथ ने उनकी अगवानी की।
शुक्रवार को कंबोडिया की राजधानी पहुंचे भारतीय प्रवासियों को संबोधित किया। धनखड़ ने कहा कि दोनों देश समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को साझा करते हैं और सदियों पुरानी सभ्यता से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत में अवसरों से भरा हुआ है। हमारा देश “सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन” के मंत्र पर चलकर आर्थिक विकास के पथ पर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कंबोडिया की राजधानी में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आप सभी के साथ यहां आकर बेहद खुशी हुई। वास्तव में भारत और कंबोडिया राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे होने का यह एक विशेष अवसर है। यह वर्ष भारत-आसियान मैत्री वर्ष के साथ भारत-आसियान संबंधों की 30वीं वर्षगांठ भी है। वैश्विक स्तर पर बढ़ते भारत के कदमों को लेकर धनखड़ ने कहा कि भारत ने आज दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का मील का पत्थर हासिल कर लिया है।
गौरतलब है कि वे शनिवार को नोम पेन्ह में आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इसके बाद 13 नवंबर को वे 17वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इसमें आसियान के 10 सदस्य देश ब्रूनेई दारुसलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपीन और वियतनाम शामिल हैं। इसके अलावा इस शिखर सम्मेलन में आठ संवाद साझेदार भारत, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस भी शामिल होंगे। इस साल आसियान-भारत संबंधों की 30वीं वर्षगांठ है और इसे आसियान-भारत मैत्री वर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है।
आसियान में म्यांमार पर हिंसा रोकने के लिए दबाव का मंथन
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ (आसियान) के नेताओं ने शुक्रवार को इस बारे में आम-सहमति पर मंथन किया कि म्यांमार में शांति लाने की योजना का पालन करने के लिए उस पर कैसे दबाव बनाया जाए। आसियान के सदस्य देश म्यांमार में 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से हिंसा बेकाबू होती जा रही है।
आसियान ने म्यांमार या बर्मा पर शांति के लिए उसकी पांच सूत्री योजना का पालन करने के लिहाज से दबाव बनाने के प्रयास में उसके नेताओं पर संगठन के शीर्ष स्तरीय आयोजनों में भाग लेने पर रोक लगा रखी है जिनमें नॉम पेन्ह में चल रहा सम्मेलन भी शामिल है। कंबोडिया के बाद आसियान की अध्यक्षता इंडोनेशिया के पास होगी।