2 ज्योतिर्लिंग देश के विभिन्न हिस्सों में स्थापित है, इनमें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है जिससे शिवभक्तों की आस्था जुड़ी हुई है, मल्लिका अर्थात माँ पार्वती और अर्जुन यानि भगवान शिव दोनों के संयुक्त रूप को मल्लिकार्जुन कहा गया।
मल्लिकार्जुन से जुड़ी पौराणिक कथा
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एक बार कार्तिकेय और गणेश जी किसका विवाह पहले होगा इस बात पर झगड़ने लगे, भगवान शिव ने निष्कर्ष के लिए यह कह दिया जो पृथ्वी का चक्कर पहले लगाकर आएगा उसका विवाह पहले होगा। कार्तिकेय पृथ्वी का चक्कर लगाने लगे, गणेश जी ने अपनी बुद्धि का प्रयोग करते हुए माता पार्वती और भगवान शिव के चक्कर लगा लिए, जब कार्तिकेय पृथ्वी की परिक्रमा पूर्ण करके आये और गणेश जी को पहले विवाह करते हुए देखा तो क्रोधित होकर क्रोंच पर्वत पर चले गए। सभी देवताओं ने कार्तिकेय से कैलाश लौटने के लिए आग्रह किया, किन्तु कार्तिकेय नहीं मानें, इस बात से माता पार्वती और भगवान शिव आहत हुए । पुत्र वियोग से दुखी होकर एक दिन माता पार्वती और भगवान शिव कार्तिकेय से मिलने क्रोंच पर्वत पर गए, माता-पिता को देखकर कार्तिकेय दूर चले गए। जिसके उपरांत पुत्र के दर्शन की आशा में भगवान शिव ने ज्योति रूप में प्रकट हुए उसी ज्योति में माँ पार्वती भी समाहित हो गई। तभी से उस ज्योतिर्लिंग को मल्लिकार्जुन के रूप में जाना जाता है। मान्यता है भगवान शिव अमावस्या को और माता पार्वती पूर्णिमा को यहां स्वयं आते हैं।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मनोकामनाएं पूरी होती है, यहां शिव और पार्वती की आराधना से जीवन में आने वाली सभी परेशानी से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। सावन मास में यहां पूजा-पाठ का विशेष महत्व है।
कैसे पहुंचे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन मारकापुर रोड रेलवे स्टेशन है, यह मल्लिकार्जुन से 84 किमी की दूरी पर है। यह सभी बड़े रेलवे स्टेशन लखनऊ, मुंबई, चंडीगढ़, दिल्ली, देहरादून से जुड़ा हुआ है। यहां से आपको मल्लिकार्जुन के लिए टैक्सी या बस मिल जाएगी। यदि आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो नजदीकी हवाई अड्डा राजीव गाँधी इंटरनेशनल हवाई अड्डा है जो मल्लिकार्जुन से 200 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मुंबई दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता और अन्य हवाई अड्डों से जुड़ा हुआ है।