ऐतिहासिक नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस देश को हुआ समर्पित, PM Modi ने किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को बिहार के राजगीर में ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन कर दिया है। बिहार के राजगीर में स्थित नालंदा युनिवर्सिटी कैंपस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह पहुंचे। इसके बाद उन्होंने बौधि वृक्ष लगाया और इसके बाद नया कैंपस का उद्घाटन किया।

गौरतलब है कि वर्ष 2016 में नालंदा यूनिवर्सिटी के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र हेरिटेज साइट घोषित किया जा चुका है। इसके बाद ही विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू किया गया था। इस विश्वविद्यालय का नया कैंपस से बेहद शानदार है लिए इसके बारे में जानते हैं। इस विश्वविद्यालय की स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी। इस नए कैंपस को पुराने कैंपस के पास में ही बनाया गया है।

 

जानें नालंदा यूनिवर्सिटी के नए कैंपस के बारे में

इस नालंदा यूनिवर्सिटी ने नए कैंपस में दो अकेडेमिक ब्लॉक का निर्माण किया गया है। यहां कुल 40 क्लासरूम बनाए गए है। इन क्लास रूम में कुल 1900 छात्र बैठ कर पढ़ सकते है। इस यूनिवर्सिटी कैंपस में दो ऑडिटोरियम बनाए गए है, जिनकी क्षमता 300 सीटों की है। यहां इंटरनेशनल सेंटर और एम्फीथिएटर भी है, जिसकी क्षमता 2000 लोगों को बैठाने की है।

छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की सुविधा भी दी गई है। नालंदा यूनिवर्सिटी का कैंपस पर्यावरण अनुकूल है। कैंपस में पानी को रिसाइकिल करने के लिए प्लांट लगाया है। यहां 100 एकड़ की वॉटर बॉडी के साथ कई सुविधाएं पर्यावरण अनुकूल है। विश्वविद्यालय में छह अध्ययन केंद्र हैं जिनमें बौद्ध अध्ययन, दर्शन और तुलनात्मक धर्म स्कूल; ऐतिहासिक अध्ययन स्कूल; पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन स्कूल; और सतत विकास और प्रबंधन स्कूल शामिल हैं।

मोदी ने कहा कि मुझे तीसरे कार्यकाल की शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है। ये मेरा सौभाग्य तो है ही, साथ ही मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। उन्होंने कहा कि नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा उद्घोष है इस सत्य का… कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं… लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। उन्होंने कहा कि नालंदा बताएगा…जो राष्ट्र, मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं… वो राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं।

पीएम मोदी ने इतिहासकारों के दावों का जिक्र करते हुए कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में लाखों किताबें और पांडुलिपियां अफगान कमांडरों द्वारा जला दी गईं थीं, कहा, “नालंदा इस सत्य की घोषणा है। किताबें आग की लपटों में जल सकती हैं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नष्ट नहीं कर सकती हैं।” अफगान कमांडरों द्वारा जला दिया गया। फ़ारसी इतिहासकार सिराज ए मिनाज ने अपनी तबकात-ए-नसीरी में दावा किया कि अफगान कमांडर बख्तियार खिलजी ने नालंदा में 9 मिलियन से अधिक किताबें जला दी थीं।

उन्होंने कहा कि नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है। इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है। मैं इस अवसर पर भारत के सभी मित्र देशों का अभिनंदन करता हूं। उन्होंने कहा कि प्राचीन नालंदा में बच्चों का प्रवेश उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देखकर नहीं होता था। हर देश, हर वर्ग के युवा यहां आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए कैंपस में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से मजबूती देनी है। दुनिया के कई देशों से यहां छात्र आने लगे हैं। यहां नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के students पढ़ाई कर रहे हैं। ये वसुधैव कुटुंबकम की भावना का कितना सुंदर प्रतीक है।

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