झांसी। महारानी लक्ष्मी बाई पैरामेडिकल के चंद्रशेखर आजाद छात्रावास के छात्रों ने भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक एवं ट्रांसजेंडर आदि व्यक्तियों के विवाह को विधि मान्यता देने के निर्णय की तत्परता एवं आतुरता से विचलित होकर अपना विरोध जताया है। छात्रों द्वारा राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन में उन्होंने मांग की है कि है किस प्रकार के विवाह को मान्यता देना भारतीय समाज में अस्थिरता पैदा करना है छात्रों ने बताया कि समलैंगिक विवाह भारत की संस्कृति सभ्यता एवं भारतीय समाज की मूलभूत मान्यताओं के विपरीत है। समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता देने से समाज में अनेक सामाजिक विसंगतियां एवं कानूनी जटिलताएं पैदा हो
सकती हैं। पश्चिम की सामाजिक एवं संस्कृतिक मान्यताओं एवं अवधारणाओं को आधुनिकता एवं अत्यंत अल्प समूह की इच्छा व माँग पर बिना सोचे समझे भारतीय समाज पर आरोपित करना हमारी आगामी पीढ़ी के लिए ठीक ना होगा। समलैंगिकता विवाह जैसे विषय पर सनान कानून बनाने के लिए व्यापक विचार विमर्श की आवश्यकता है। साथ ही इस विषय में कानून बनाने का अधिकार भारत की संसद को है। इस अवसर पर सुनील, रजनीश, वरुण, विशाल, सोम कांत, ओमप्रकाश, सायुज्य, अनिल, शिवम, अभिजीत, राघवेंद्र, रजनीश, निखिल, प्रिंस, रोहित, संजय, अजय, विशाल अनेक छात्र उपस्थित रहे।