एक ऐसा मंदिर जहां भगवान शिव और मां पार्वती खेलते हैं ‘चौसर

वैसे तो देशभर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध माने जाते हैं। इन्हें भक्तों की आस्था का केंद्र भी माना जाता है। भगवान शिव के इन 12 ज्योतिर्लिंगों में दो ज्योतिर्लिंग हैं जो मध्यप्रदेश में हैं और इनमें से एक ज्योतिर्लिंग उज्जैन में है जो कि काफी प्रसिद्ध माना जाता है। उज्जैन में मौजूद इस ज्योतिर्लिंग की अपनी मान्यता है। यहां दूर-दूर से भगवान शिव के भक्त अराधना करने आते हैं।

वहीं दूसरे ज्योतिर्लिंग की बात करें तो ये खंडवा में नर्मदा नदी के किनारे है। ये विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर को ओंकारेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां दुनियाभर के लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। चलिए… आगे के लेख में इस मंदिर से जुड़े कुछ जरूरी तथ्य और इसकी मान्यता के बारे में जानते हैं।

ब्रह्मा के मुख से हुआ उच्चारण

ओंकारेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी के मध्य द्वीप पर स्थित है। वहीं दक्षिण तट पर ममलेश्वर मंदिर मौजूद है। ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है। ओंकारेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ओंकारेश्वर चौथा ज्योतिर्लिंग है। ऐसा माना जाता है कि इस शब्द की उच्चारण सबसे पहले ब्रह्मा के मुख से हुआ था।

मंदिर की क्या है मान्यता?

ओंकारेश्वर में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दो रूपों में विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव यहां मां पार्वती के साथ विराजमान हैं और रात्रि में यहां विश्राम करते हैं, साथ ही दोनों चौसर भी खेलते हैं। इसके लिए यहां मंदिर में चौसर-पासे, पालना और सेज भी सजाए जाते हैं। सावन के महीने में यहां भक्तों का तांता लगा होता है।

मंदिर की वास्तुकला करती है आकर्षित

खास बात ये है कि मंदिर का निर्माण उत्तर भारतीय वास्तुकला में किया गया है। पांच मंजिला इस मंदिर में सबसे नीचे श्री ओंकारेश्वर देव, फिर श्री महाकलेश्वर, श्री सिद्धनाथ, श्री गुप्तेश्वर और अंत में ध्वजाधारी देवता विराजमान हैं।

ॐ के आकार में दिखता है मंदिर का द्वीप

ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के बीच मन्धाता और शिवपुरी द्वीप पर स्थित है। खास बात ये है कि ये द्वीप पवित्र चिह्न ॐ के आकार में दिखाई पड़ता है। यही कारण है कि इसे ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है। माना ये भी जाता है कि ओंकारेश्वर में स्थापित लिंग एक प्राकृतिक शिवलिंग है, इसे किसी मनुष्य द्वारा तराशा या गढ़ा नहीं गया है।

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