प्रयागराज। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कवि सम्मेलन में कविता कामिनी का सौन्दर्य कवियों की रचनाओं के माध्यम श्रोताओं से संवाद करता रहा। कवियों ने कविताओं के माध्यम से प्रेम के व्याकरण का पाठ और समसामयिक परिवेश पर चुटीली रचनाओं के प्रहार से दर्शकों से सीधे संवाद बनाया।
इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. हरदत्त शर्मा एवं केन्द्र निदेशक इन्द्रजीत सिंह ग्रोवर ने दीप प्रज्ज्वलन कर कवि सम्मेलन का शुभारम्भ किया। केन्द्र निदेशक श्री ग्रोवर ने केन्द्र की इस सांस्कृतिक यात्रा और भारतीय लोक संस्कृति के संरक्षण सम्बर्द्धन में उसके योदगान पर प्रकाश डाला। कहा कि ग्राम्य संस्कृति देश की आत्मा है। इसके विकास से ही भारत की लोक संस्कृति और हमारी सांस्कृतिक विरासत मजबूत होती है। केन्द्र भारतीय लोक संस्कृति के विकास में अपने दायित्व को समझता है और हम इस दिशा में सतत् प्रयत्नशील है। 33-34 वर्र्षाे की इस यात्रा में केन्द्र ने बहुत से ऐसे कलाकारों और कला विधाओं को संरक्षित किया है। इनमें पद्मविभूषण तीजन बाई प्रमुख है।
वरिष्ठ कवि यश मालवीय के सरस्वती वंदना के पश्चात् योगेन्द्र मिश्र की रचना ने सामाजिक दरारों को रेखांकित किया। कवियित्री रागिनी चतुर्वेदी ने फागुन को समर्पित रचना द्वारा श्रोताओं से सीधे संवाद बनाया। इसी प्रकार कवि सम्मेलन में अन्य रचनाकारों ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं से संवाद बनाया। जिनमें कवि यश मालवीय, ईश्वर शरण शुक्ल, प्रीता बाजपेई, विवेज रंजन सिंह प्रमुख है। संचालन नगर के सुपरिचित कवि श्लेष गौतम ने तथा अध्यक्षता यश मालवीय ने किया।