उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय में साहित्यिक संगोष्‍ठी आयोजित

प्रयागराज! महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती के उपलक्ष्‍य में उत्‍तर मध्‍य रेलवे मुख्‍यालय में अपर महाप्रबंधक श्री अरुण मलिक की अध्‍यक्षता में साहित्यिक संगोष्‍ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी में अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए अपर महाप्रबंधक, श्री अरुण मलिक ने कहा कि निराला ने बंधी-बधाई साहित्यिक मान्‍यताओं को तोड़कर युग और समय के अनुसार काव्‍य और कहानी दोनों ही क्षेत्रों में नई राह का निर्माण किया। उनका साहित्यिक उन्‍मेष और नई चेतना हिंदी साहित्‍य का ऐतिहासिक प्रस्‍थान बिंदु है। वे छायावाद के प्रतिनिधि कवि हैं, लेकिन उनकी भाव व्‍यंजना और शैली विधान दोनों ने ही बाद के प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता तथा गीत एवं प्रगीत काव्‍य के महत्‍वपूर्ण कवियों को अनुप्रेरित और प्रभावित किया है एवं  वे अपनी सृजन-प्रेरणा के बीज निराला की कविताओं में ढूंढ़ते हैं। श्री मलिक ने कहा कि निराला परिवर्तन और नवीनता के गायक हैं। राम-रावण युद्ध के परंपरागत मिथक पर आधारित, ‘राम की शक्ति पूजा में वे शक्ति की करो मौलिक कल्‍पना का संदेश देते हैं और पुरुषोत्‍तम नवीन का आवाहन करते हैं। हम कह सकते हैं कि आज हमारे राष्‍ट्रीय, सामाजिक, आर्थिक, व्‍यावसायिक और व्‍यक्तिगत जीवन सहित विभिन्‍न क्षेत्रों में शक्ति की ऐसी ही मौलिक कल्‍पना और नवीनता की जरूरत है, ताकि हम राष्‍ट्र एवं समाज के निर्माण में रचनात्‍मक भूमिका निभा सकें। संगोष्‍ठीमें अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए मुख्‍य राजभाषा अधिकारी श्री महेन्‍द्र नाथ ओझा ने कहा कि निराला लघुता और प्रभुता दोनों के कवि हैं। जूही की कली‘, बादल राग‘, जागो फिर एक बार‘, वह तोड़ती पत्‍थर जैसी रचनाएं सांस्‍कृतिक चेतना, काव्‍य सौदर्य के प्रतिमान और वैक्तिक एवं  समाजिक संघर्ष के संगमित रचनाविधान के अनुपम दृष्‍टांत हैं।    श्री ओझा ने बताया कि वह तोड़ती पत्‍थर विलासता में निमग्‍न सौदर्य चेतना के विरूद्ध समाजिक संघर्ष और वर्ग बोध की कविता है। निराला के बादल राग में भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम के भटके हुए सुरों की अन्विति देखी और सुनी जा सकती है। वीणावादिनी वर दे केवल आराधन का गीत नहीं है, यह  देश और समाज में नवता और अमृत मंत्र के आपूरण के आह्वान का स्‍वर है। राम की शक्ति पूजा युद्ध की कविता न होकर यह हम सबके अंदर विद्यमान महासंशय का वाह्य चित्र है। निराला का संघर्ष स्‍वंय राम के संघर्ष की प्रतिच्‍छाया हैं और युद्ध की पृष्‍ठाभूमि में जनक वाटिका की सीता का स्‍मरण शक्ति के संधान का पूर्वापर है। इस अवसर पर अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए मुख्‍य मोटिव पावर इंजीनियर श्री अनिल द्विवेदी ने कहा कि निराला एक साथ सौदर्य, प्रकृतिआम आदमी, पुत्री के शोक में व्‍याकुल अपने दु:ख बोध को व्‍यापक मूल्‍य संचेतना से जोड़ते हुए एक व्‍याकुल कवि पिता की मार्मिक अभिव्‍यक्ति के कवि हैं। वे बादल राग के गायक हैं। निराला ने अपने ध्‍वन्‍यात्‍मक बिंबविधान में दुर्धर्ष समाजिक विसंगतियों को जिस तरह अनुस्‍यूत किया है, वह अद्वितीय हैं। उनकी प्रसिद्ध कविता कुकुरमुत्‍ता का बहुत बड़ा आर्थिक और समाजिक कैनवस है। राम की शक्ति पूजा का अंतर सर्घष एक अलौकिक निनाद का शिल्‍प ग्रहण करता है। निराला ने सरोज स्‍मृति के माध्‍यम से कुलीन विद्रूपताओं पर करारा प्रहार किया है। कार्यक्रम के शुभारंभ में कार्यक्रम के अध्‍यक्ष द्वारा मॉ सरस्‍वती के चित्र पर माल्‍यार्पण एवं दीप प्रज्‍जवलन द्वारा किया गया। इस अवसर पर सेवानिवृत्‍त होने वाले अपर महाप्रबंधक श्री अरुण मलिक एवं प्रधान मुख्‍य बिजली इंजीनियर श्री राज नारायण का अभिनंदन किया गया।  

संगोष्‍ठी में  प्रधान विभागाध्‍यक्ष सहित बड़ी संख्‍या में अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे संगोष्‍ठी का संचालन वरिष्‍ठ राजभाषा अधिकारी श्री चन्‍द्र भूषण पाण्‍डेय तथा धन्‍यवाद ज्ञापन उप मुख्‍य राजभाषा अधिकारी श्री शैलेंद्र कुमार सिंह द्वारा किया गया।

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