प्रयागराज। हिंदी और उर्दू के समन्वित स्वरूप को ही हिन्दुस्तानी कहा जाता है। भारत के संविधान में हिंदी को देश की सामासिक संस्कृति की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाने की परिकल्पना की गई है। इस परिकल्पना को साकार बनाने के लिए संविधान में परिगणित सभी भारतीय भाषाओं के शब्दों और अभिव्यक्तियों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
उक्त विचार मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं प्रधान मुख्य वाणिज्य प्रबंधक महेन्द्र नाथ ओझा ने उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय में गुरूवार को आयोजित हिंदी कार्यशाला में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक परिदृश्य में हिंदी को उच्च शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, अनुसंधान, संचार, प्रबंधन जैसे क्षेत्रों से संबंधित शक्ति के साहित्य की भाषा बनाना है। हमारी भाषा परम्परा मूर्धन्य ऋषियों की सृजनात्मकता द्वारा निर्मित है। हमारी भाषाओं और बोलियों का उद्गम लोक और लोक की विधाएं हैं इसीलिए इसमें मिट्टी की खुशबू तथा स्वाभाविक सहजता है। इसीलिए राजभाषा को इसी सहजता और सरलता में ढालना होगा। उन्होंने बताया कि वेद आज भी विश्व के प्राचीनतम, लेकिन सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ हैं। यही भाषा परंपरा हिंदी और हिंदवी के रूप में 13वीं सदी में सूफी साधक अमीर खुसरों के काव्य में प्रस्फुटित होती है। मीर, गालिब, तुलसीदास जैसे महान रचनाकार इसी साझी भाषिक परंपरा के प्रतिनिधि हैं।
उप मुख्य राजभाषा अधिकारी शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि हिंदी को सरल और सहज बनाए रखने के साथ-साथ इसके मानक स्वरूप पर भी ध्यान देना होगा तथा इस हेतु भाषा तकनीक और अन्य आधुनिक प्रविधियों का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कर्मचारियों से वर्तनी आदि के शुद्ध प्रयोग पर ध्यान देने को कहा। मुख्य आयकर आयुक्त कार्यालय प्रयागराज के सहायक निदेशक, राजभाषा हरी कृष्ण तिवारी ने कहा कि राजभाषा का समुचित प्रयोग-प्रसार सुनिश्चित करने के लिए हमें अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरे मनोयोग से निभाना चाहिए और इसके वैधानिक प्रावधानों और नियमों का शत प्रतिशत अनुपालन करना चाहिए। कार्यशाला में वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी चन्द्र भूषण पाण्डेय ने कर्मचारियों को कंप्यूटर पर हिंदी टाइपिंग, राजभाषा अधिकारी यथार्थ पाण्डेय ने प्रेजेंटशन के माध्यम से पत्रों के विभिन्न प्रारूपों के बारे में जानकारियां प्रदान की तथा आयकर आयुक्त कार्यालय के वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी मकरध्वज मौर्य ने यूनिकोड तथा मल्टी मीडिया में हिंदी के प्रयोग और सीनियर इंजीनियर आईटी कृष्ण कांत सिंह ने ई-आफिस में हिंदी में कार्य करने का व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया। काय्र्रक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन राजभाषा अधिकारी यथार्थ पाण्डेय ने किया।