उठे सवाल, पाकिस्‍तान में इमरान खान का विकल्‍प कौन?

पाकिस्‍तान में इमरान खान की सरकार अविश्वास प्रस्ताव के पहले ही मुश्किलों में फंसती नजर आ रही है। इमरान सरकार अल्‍पमत में आती दिख रही है। इमरान खान की पार्टी के 24 सांसद बागी हो गए हैं। उधर, इमरान के बढ़ते विरोध के चलते पाकिस्‍तानी सेना भी उनका साथ नहीं दे रही है। इस बीच सरकार को बचाने के लिए अब सत्‍तारूढ़ गठबंधन के अंदर नेतृत्‍व परिवर्तन की भी मांग तेज हो गई है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्‍या इमरान खान अपनी कुर्सी छोड़ देंगे? इमरान के स्‍थान पर पाकिस्‍तान का प्रधानमंत्री कौन होगा?इन तमाम सियासी अटकलों के बीच शाह महमूद कुरैशी ने दावा किया है कि सत्‍तारूढ़ पार्टी इमरान खान के साथ खड़ी है। उन्‍हें हटाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है। उन्‍होंने कहा कि पार्टी इमरान खान के साथ खड़ी है। पार्टी इमरान को अकेला नहीं छोड़ सकती। इसके उलट मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कुरैशी अपनी स्थिति को मजबूत करने में जुट गए हैं। एक तरफ जहां पीटीआई के बागी सांसदों पर इमरान खान से लेकर अन्‍य नेता हमलावर हैं, वहीं कुरैशी ने अभी तक नरम रुख अपना रखा है। कुरैशी ने कहा कि सिंध हाउस में बैठे बागी सांसद ठंडे दिमाग से सोचें और कहा कि पार्टी उनकी ‘वैध चिंताओं’ को सुनने के लिए तैयार है। उन्‍होंने कहा कि हर पार्टी के अंदर मतभेद होता है, लेकिन उसे सुलझाया जा सकता है। इसका मतलब यह नहीं कि आप विपक्ष की गोद में बैठ सकते हैं।इसके पूर्व इमरान सरकार में सहयोगी दल एमक्‍यूएम पी के समन्‍वयक डाक्‍टर खालिद मकबूल सिद्दकी ने कहा था कि विपक्ष के अविश्‍वास प्रस्‍ताव को देखते हुए लगता नहीं है कि इमरान खान सत्‍ता में बने रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि पीटीआई को वर्तमान राजनीतिक संकट को सतर्कतापूर्वक सुलझाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि लोकतंत्र और पाकिस्‍तान को बचाने के लिए फैसला लिया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि पीटीआई की सरकार बच सकती है, लेकिन पीएम इमरान की कुर्सी के बचने की संभावना नहीं है। उनकी इस बात के यही निहितार्थ लगाए जा रहे हैं।प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि पाकिस्‍तान में अगर इमरान सरकार के सहयोगी दल सरकार से अलग होते हैं तो देश में आम चुनाव की स्थिति उत्‍पन्‍न हो सकती है। पाकिस्‍तान के लिए यह भी ठीक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि देश के  ताजा आर्थिक हालात के मद्देनजर पाकिस्‍तान में आम चुनाव कतई ठीक नहीं है। ऐसे में देखना दिलचस्‍प होगा कि इमरान सरकार के सहयोगी दल क्‍या रुख अपनाते हैं। दूसरे, राजनीतिक अस्थिरता का फायदा सेना भी उठाती है। उनका कहना है कि यह अस्थिरता अगर लंबे समय तक चली तो सेना का दखल बढ़ेगा। अगर यह गतिरोध लंबा चला तो यह भी संभव है कि सत्‍ता पर सेना का कब्‍जा हो जाए। हालांकि, सेना अभी मौन है। राजनीतिक गतिविधियों पर सेना की पैनी नजर है।

Related posts

Leave a Comment