हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस महीने ये 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। कालाष्टमी को कालभैरव जयंती और भैरव अष्टमी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि ऐसा करने से भक्तों के जीवन के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं।
कालाष्टमी के बारे में जानें
पुराणों के अनुसार कालाष्टमी के दिन दान करने से पापों का नाश और ग्रहों के दोषों से मुक्ति मिलती है। काल भैरव की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस दिन खास चीजों का दान करने से वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों से भी मुक्ति मिल सकती है। ऐसा करने से प्रेम संबंध भी प्रगाढ़ होते हैं।
कालाष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त हो स्वच्छ हो जाएं। उसके बाद पवित्र मन से कालाष्टमी व्रत का संकल्प लें। पवित्र संकल्प के साथ पितरों का तर्पण करें उसके बाद ही कालभैरव की पूजा करनी चाहिए। कालाष्टमी के दिन व्यक्ति को पूरे दिन व्रत रखना चाहिये व मध्यरात्रि में धूप, दीप, गंध, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से पूजा कर भैरव आरती करनी चाहिये। कालाष्टमी के दिन व्रत के साथ ही रात्रि जागरण का भी खास महत्व होता है। काले कुत्ते को काल भैरव की सवारी माना जाता है इसलिये व्रत खत्म होने पर सबसे पहले कुत्ते को भोग लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कुत्ते को भोजन करवाने से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं और भक्त को आर्शीवाद देते हैं।
कालभैरव के बारे में जानें
कालभैरव को शिव का पांचवा अवतार माना गया है। इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप में जाना जाता है। लेकिन काल भैरव का रूप बटुक भैरव से अलग माना जाता है। उन्हें अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक के रूप में जाना जाता है।
इन चीजों से करें महादेव अभिषेक
अगर आप आर्थिक तंगी या धन संबंधी परेशानी से जूझ रहे हैं तो कालाष्टमी के दिन श्वेत रंग का वस्त्र धारण कर गन्ने के रस से महादेव का अभिषेक करें। ध्यान रहे इस दौरान आपको ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥’ मंत्र का उच्चारण करना है। इसके अलावा गाय के कच्चे दूध, शहद, भांग के पत्ते और शुद्ध घी या दही से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए।