अफगानिस्तान पर कब्जे के करीब चार माह बाद तालिबान का क्रूर चेहरा दुनिया के सामने आने लगा है। बीते तीन माह के दौरान तालिबान ने जिन सरकारी कर्मचारियों और सेना के जवानों और अधिकारियों को आम माफी देने की बात की थी, उन्हें या तो मार दिया गया है, या फिर उन्हें गायब कर दिया गया है। ह्यूमन राइट्स वाच द्वारा किए गए करीब 67 इंटरव्यू के दौरान तालिबान की ये सच्चाई उजागर हुई है। इन इंटरव्यू में गजनी प्रांत की जेल में बंद करीब 40 कैदी भी शामिल थे, जिन्हें विभिन्न आरोपों के तहत जेलों में बंद किया गया है। इसके अलावा हेलमंड, कुंदुज और कंधार प्रांत की जेलों में बंद कैदियों से भी बात की गई है।ह्यूमन राइट्स वाच की रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि तालिबान ने पूर्व की अफगान सरकार के कर्मचारियों और पूर्व सुरक्ष कर्मियों के परिजनों को भी इस दौरान निशाना बनाया है। रिपोर्ट में ये खुलासा ऐसे समय में किया गया है जब तालिबान ने बार-बार ये कहा था कि वो सरकारी कर्मचारियों पूर्व की अफगान सरकार के तहत काम करने वाले सुरक्षाकर्मियों को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएगा। तालिबान की तरफ से यहां तक कहा गया था कि वो उन सभी को आम माफी दे रहे हैं। इतना ही नहीं तालिबान की तरफ ये घोषणा भी की गई थी कि वो अपनी सरकार की जवाबदेही तय करेंगे और इस्लामी कानून के तहत लोगों को मिले मानवाधिकारों का सम्मान करेंगे। ।बता दें कि तालिबान के आने के बाद से ही अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है। लोगों के पास खाने-पीने की चीजें नहीं हैं और लाखों लोग भूखमरी के शिकार हैं। तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से ही ये देश सबसे बड़े मानवीय संकट से गुजर रहा है। आलम ये है कि विश्व खाद्य संगठन इस बात के लिए आगाह कर चुका है कि अफगानिस्तान में इस वर्ष के अंत तक खाद्य पदार्थों की जबरदस्त कमी हो जाएगी और भूखमरी के शिकार लोगों की संख्या भी बढ़ जाएगी। न्यूयार्क टाइम्स में लिखा है कि तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 30 लाख से अधिक बच्चे भूखमरी के शिकार हैं।
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