शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है और शायद यही वजह है कि भारत जैसे कई देश अपने नागरिकों को शराब पीने से “हतोत्साहित” करते रहते हैं। भारत में गुजरात, बिहार जैसे कई राज्यों में सख्त शराब बंदी लागू है। हालांकि एक देश ऐसा है जो अपने नागरिकों में शराब पीने को बढ़ावा देना चाहता है। हम बात कर रहे हैं जापान की। जापान ने एक राष्ट्रव्यापी कंपटीशन शुरू की है जिसमें युवा वयस्कों को शराब पीने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बड़ी संख्या में जापान के युवा नशा नहीं करते हैं। इसलिए कुछ अधिकारी एक नए कैंपेन के साथ इसे बदलने की उम्मीद कर रहे हैं। जापान की युवा पीढ़ी अपने माता-पिता की तुलना में कम शराब पीती है। इसकी वजह से जापान की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है। शराब की कम खपत के चलते साके (चावल से बनी जापानी शराब) जैसे पेय पदार्थों से मिलने वाला टैक्स भी कम हुआ है।
अब जापान की नेशनल टैक्स एजेंसी (NTA) ने इस ट्रेंड को उलटने के लिए बड़ा कदम उठाया है। जापान एक राष्ट्रीय कंपटीशन शुरू कर रहा है। इस कंपटीशन का नाम ‘साके वाइवा’ (Sake Viva!) रखा है। कैंपेन के तहत जापान को उम्मीद है कि वह शराब को युवाओं के लिए अधिक आकर्षक बना पाएगा जिससे इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा। कंपटीशन 20 से 39 साल के युवाओं के लिए शुरू हुई है
क्या है जापानी शराब कंपटीशन?
जापानी सरकार ने इन युवाओं से कहा है कि वे ऐसे बिजनेस आइडिया लेकर आएं जिससे उनके दोस्तों के बीच शराब की मांग बढ़े। शराब चाहे जापानी साके हो, शुकू (shochu), व्हिस्की, बीयर या वाइन हो। द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबबिक, कंपटीशन 9 सितंबर तक ओपन है। इसमें घरेलू शराब को प्रोत्साहित करने के लिए स्ट्रेटजी बनाने के अलावा “नए आइटम और डिजाइन” बनाने का भी अनुरोध किया गया है। जापानी टैक्स एजेंसी ने इस कंपटीशन के लिए एक कंपनी को ठेका दिया है।
क्यों कम शराब पी रहे जापानी?
कंपटीशन कराने वाली कंपनी का कहना है कि देश में कम शराब पीने का ट्रेंड कोविड महामारी के दौरान शुरू हुआ। इसकी एक वजह जापान की बूढ़ी होती आबादी भी है जिसके कारण शराब की बिक्री में गिरावट आई है। जापान में घटती जन्म दर भी इसका एक कारण है। विश्व बैंक का अनुमान है कि जापान की आबादी का लगभग एक तिहाई (29%) 65 वर्ष और उससे अधिक आयु का है। यह आंकड़ा जापान को दुनिया में सबसे अधिक उम्र वाली आबादी का देश बनाता है।