विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा है कि जब तक रामलला को नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में विराजमान नहीं करा देंगे, तब तक श्रीकृष्ण जन्मभूमि के विषय का स्पर्श नहीं करेंगे। दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह में रामलला की स्थापना हो जाएगी और 2024 में हम श्रीकृष्ण जन्मभूमि के बारे में विचार करेंगे।
आलोक कुमार कारसेवकपुरम में आयोजित वार्ता के दौरान पत्रकारों के प्रश्नों के उत्तर दे रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने बताया कि विहिप समरसता के अभियान में तेजी लाने जा रही हैै और इसी योजना के तहत न केवल कारसेवकपुरम में रविवार को समरसता विभाग की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक संपन्न हुई, बल्कि 14 जनवरी को पूरे देश में समरसता दिवस मनाने की तैयारी है। आयोजन के तहत विहिप के संयोजन में प्रखंड स्तर पर प्रभात फेरी एवं समरसता गोष्ठी आयोजित की जाएगी। समरसता के ही क्रम में 16 फरवरी को रविदास जयंती मनाए जाने पर भी विहिप का जोर होगा। विहिप आंबेडकर, वाल्मीकि और कबीर जैसे महापुरुषों को भी सम्मान देकर समरसता की भावना को बलवती बनाएगी।आलोक कुमार ने बताया कि समरसता की ही भावना से विहिप मलिन बस्तियों पर ध्यान केंद्रित करने जा रही है। इस क्रम में यह कोशिश होगी कि अनुसूचित जाति और जन जाति के लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। इस वर्ग की महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर हो सके। रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित हो और प्रत्येक गांव के मंदिर सभी के लिए खुले हों। पानी के स्रोत अलग-अलग न हों और श्मशान पर भी सभी के लिए समान व्यवस्था हो। मनुष्य के नाते जो गरिमा, बंधुत्व का भाव और अधिकार है, वह सभी को प्राप्त हो सके।
आलोक कुमार के अनुसार जाति की वजह से दूल्हा को घोड़ी से उतारने जैसी किसी घटना के सामने आने पर विहिप पूरी तत्परता से पीड़ित परिवार एवं समाज के साथ खड़ी होगी और यह तय करेगी कि वंचित समाज को ऐसा आघात कभी न सहना पड़े।
तमिलनाडु को लेकर केंद्रीय कानून की मांग : विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की। कहा कि तमिलनाडु जैसे राज्यों में सरकारी नियंत्रण की वजह से मंदिरों का तेज कम हो रहा है। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय कानून बनाए जाने या मंदिरों के नियंत्रण के लिए स्वतंत्र ढांचा विकसित करने की मांग की।